Arvind Kejriwal has become Chief Minister because of the Constitution, does not believe in it BJP

नई दिल्ली 20 मई (एजेंसी)। आम आदमी पार्टी की दिल्ली की सरकार और केंद्र की भाजपा सरकार के बीच पावर सेंटर को लेकर जिस तरह से खींचातानी चल रही है उसे ऐसा लग रहा है कि दोनों पाटिया पीछे हटने वाली नहीं है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने अरविंद केजरीवाल पर तंज कसते हुए कहा कि संविधान की शपथ लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री बने हैं अरविंद केजरीवाल लेकिन उसी संविधान को नहीं मानने की कसम खा चुके हैं। गौरव भाटिया ने कहा कि केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 123 के तहत दिल्ली सरकार में पदस्थापित अधिकारियों के पोस्टिंग के लिए अध्यादेश लाया है लेकिन 11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पीठ के फैसले को भी अरविंद केजरीवाल ने नहीं पड़ा है।

गौरव भाटिया ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने शायद इस आदेश को नहीं पढ़ा होगा कि या 105 पन्नों की है और 64 पैराग्राफ है क्योंकि अरविंद केजरीवाल अन्य कामों में भी बिजी रहते हैं। गौरव भाटिया ने कहा कि अरविंद केजरीवाल उसी संविधान को नहीं मानते हैं और उसे तार-तार कर रहे हैं उन्हें सोचना चाहिए कि वह दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं जनता की सेवा कैसे करनी है यह उन्हें समझ नहीं आ रहा है हैं बस उन्हें अराजकता करना है। गौरव भाटिया ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को तो शराब के ठेकेदारों के साथ समय बिताने और शराब ठेकेदारों से पूछ कर शराब नीति चर्चा करने का समय है लेकिन भ्रष्टाचार कैसे खत्म होगी इस पर उन्हें सोचने का समय नहीं है।

गौरव भाटिया ने तंज कसते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल 70 बेईमान तो है ही अब उनकी भाषा भी अजीब हो गई है क्योंकि दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर के बारे में बोलते हैं की एलजी को बिठा दिया गया है। उन्हें सम्मान के साथ यह बोलना चाहिए कि जिस संविधान में मुझे मुख्यमंत्री बनाया है उसी संविधान के तहत दिल्ली में एलजी नियुक्त हुए हैं लेकिन अरविंद केजरीवाल का किसी को भी सम्मान करने के शिवा और कुछ नहीं आता और जनता को भी वह कभी सम्मान नहीं करते हैं।

गौरव भाटिया ने कहा कि मुझे अरविंद केजरीवाल की नासमझी क्या होती है या कट्टर बेईमानी क्या होती है दोनों में ज्यादा फर्क नहीं दिखता। गौरव भाटिया ने कहा कि अरविंद केजरीवाल का कहना है कि केंद्र सरकार ने ही अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट की छुट्टी के बाद लाया है यह पहले क्यों नहीं लाया गया लेकिन अरविंद केजरीवाल को यह जानकारी देना चाहता हूं कि यदि आपको यह लगता है कि यह अध्यादेश गैर संवैधानिक है तो अपने अधिवक्ता से इसके खिलाफ याचिका दारे करें और सुप्रीम कोर्ट में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

गौरव भाटिया ने कहा कि अरविंद केजरीवाल जी को मालूम होना चाहिए कि जब अध्यादेश आता है तो उसके लिए प्रक्रिया निर्धारित है। विचार- विमर्श के बाद विधिक भाषा में ड्राफ्ट होता है। कैबिनेट से मंजूरी मिलती है। उस पर राष्टपित से अनुमति मिलती है।यह अध्यादेश पूरी तरह से संवैधानिक है। दिल्ली का महत्व भारत और हर भारतीय को ध्यान में रखते हुए अध्यादेश लाया गया है। दिल्ली में संसद, राष्टपति का आवास, सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया, विदेशी दूतावास समेत बड़े-बड़े संस्थानों के कार्यालय हैं।  भारतीय संविधान के अनुसार दिल्ली एक यूनियन टैरिटरी है। जंगलराज फैलाना और संविधान को दरकिनार कर देना सही नहीं है।

अरविंद केजरीवाल जब दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ रहे थे तब वे जानते थे कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है बल्कि एक यूनियन टेरिटरी है। चुनाव जीतने के बाद केजरीवाल जी को लगता है कि वे संविधान की विपरीत काम करने की छूट मिल गयी है। देश के निर्वाचित प्रधानमंत्री के लिए अपशब्द का इस्तेमाल करेंगे। उप राज्यपाल के लिए सही सही षब्दों का प्रयोग नहीं करेंगे। गौरव भाटिया ने कहा कि यह आम जनता को भी जानने वाली बात है कि दिल्ली एक यूनियन टेरिटरी है अरविंद टेरीटरी नहीं है। दिल्ली भारतीय संविधान से चलेगा, ना कि केजरीवाल के कानून से नहीं चलेगा।अरविंद केजरीवाल शराब नीति का एक-एक शब्द पढ़ता है, क्योंकि उसे वसूली करनी है।

अपने घोटाले छुपाने होते हैं। केजरीवाल जी जिस संविधान की षपथ लेते हैं, उसे नहीं पढ़ते हैं और उसे तार-तार करते हैं। गौरव भाटिया ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 239 एए स्पष्ट करता है कि देश की राजधानी दिल्ली के लिए केन्द्र सरकार कानून बनाएगी। किन्तु कट्टर बेईमान अरविंद केजरीवाल  अपने अधिकारियों को डरा रहे हैं जो उनके शराब घोटाले की जांच करता है। यह आम आदमी पार्टी नहीं है बल्कि अपराध अराजक पार्टी है।  अरविंद केजरीवाल कम से कम संवैधानिक पीठ का फैसला पढ़ लिया होते।

इस फैसले में स्पष्ट लिखा है कि लॉ आर्डर, पुलिस और प्रषासन के मामले में उप राज्यपाल परिवर्तन करें।अनुच्छेद 123 में स्पष्ट लिखा है कि जब संसद नहीं चल रहा है तो किसी काननू के लिए अध्यादेश लाया जाएगा और जब संसद चलेगी तो उसके दोनो सदनों में उसे पारित कराया जाएगा। अरविंद केजरीवाल वह शायद यह जानकारी नहीं है कि को संवैधानिक पीठ ने फैसले में कहा कि इससे संबंधित कानून बनाए जाने की जरूरत है। केन्द्र सरकार के पास इससे संबंधित कानून बनाने की शक्ति है। जब केन्द्र सरकार कानून लाएगी तो वह केजरीवाल के लिए मान्य होगा, क्योंकि केन्द्र सरकार के तहत ही दिल्ली को चलना है।

यह कानून जनता के हित में है। केजरीवाल सरकार में जो घपले और घोटाले हुए हैं उसे उजागर होने से रोकने के लिए केजरीवाल अधिकारियों को डरा धमका रहे हैं। दिल्ली सरकार में कार्यरत अधिकारियों को स्वतंत्र और निष्पक्ष होकर काम करने के लिए कानून आया है तो केजरीवाल को क्यों परेशनी हो रही है।अरविंद केजरीवाल  को लगता है कि तानाशाह केजरीवाल तो कह देगा वह देश के संविधान से उपर होगा।केजरीवाल  ने कहा कि हमलोग बड़े छोटे लोग हैं। यह तो जनता तय करेगी। किन्तु आपके वक्तव्य से यही लगता है कि आपकी सोच बहुत छोटी, संविधान विरोधी और अराजक है।

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