Arrogant alliance with throw news in the name of free news Anurag Thakur

नई दिल्ली , 07 अगस्त (एजेंसी)। केंद्रीय सूचना और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि न्यूज़ किलिक के बारे जो विदेश एक मीडिया हाउस ने खुलासा किया है कि फ्री न्यूज़ के नाम पर फेंक न्यूज़ भारत मे चलाया जा रहा है जिनके साथ घमण्डिया गड़बंधन क्या कर रही ये राहुल गांधी  को बताना चाहिए। राहुल गांधी विदेशी  घमंडिया गठबंधन और इस गठबंधन के नेता भारत के हित नहीं सोच सकते हैं। भारत कैसे कमजोर हो कैसे भारत के हित को नुकसान पहुंचाया जाए कैसे भारत विरोधी एजेंडा को हवा, खाद, पानी दिया जाए इन सबकी चिंता ये लोग करते हैं और दिन रात इसमें लगे रहते हैं।

अनुराग ठाकुर ने कहा कि भारत लंबे समय से दुनिया को बता रहा है कि न्यूज क्लिक भी प्रचार का एक खतरनाक जाल है। कैसे घमंडिया गठबंधन, कांग्रेस, चीन न्यूज क्लिक, ये भारत विरोधी गर्भनाल से जुड़े हुए हैं। इससे सिद्ध होता है कि राहुल गांधी की नकली मोहब्बत की दूकान में चीन का समान नजर आने लगा है। चीन के प्रति प्यार दिखता और भारत के विरूद्ध दुष्प्रचार विदेशी जमीन पर भी और और विदेशी न्यूज एजेंसियों के माध्यम से होता था। एक एजेंडा था ब्रेक इंडिया कम्पेन ये लोग चलाते थे। और इनके यहां सारा सामान चीनी है और चीन का सम्मान है।

न्यूज क्लिक चीन द्वारा संपोशीत ग्लोबल मीडिया संस्थान भारत के खिलाफ है। जब छापा पड़ा तो और रेड पांच दिन तक चली, इसमें कहां कहां पैसा लिया गया और कहां से पैसे आए? इन सबकी जानकरी सबके सामने आयी है। फंडिंग का जाल देखि्ए। विदेशी नेवल राय सिंघम ने इसकी फंडिंग की। नेवल राय सिंघम को कहां से पैसा आयी? तो पता चला कि उसे चीन फंडिंग करता है। जिनका सीधा संबंध है चीन के कम्युनिस्ट पार्टी आफ चीन के प्रापेगेंडा कंपनी आम के साथ है और चीन मीडिया कंपनी माकू ग्रुप के साथ है।

कांग्रेस और विपक्षी दल जिन अखबारों के बारे में बड़ी बड़ी बातें करते हैं उन्होंने इसकी पुष्टि की है। उन अखबारों ने उन बातों की पुष्टि की है जिन बातों को भारत ने दो साल पहले कह दिया था। अनुराग ठाकुर ने कहा कि हमने 2021 में न्यूज क्लिक के बारे में खुलासा किया था कि कैसे ये लोग भारत के खिलाफ हैं। ऐसी विदेशीप्रोपेंगेंडा भारत के खिलाफ हैं। और एंटी इंडिया और ब्रेक इंडिया कम्पेन में कांग्रेस भी उनके समर्थन में आए थे। यह कांग्रेस नेताओं की ट्वीट खुलकर उनके समर्थन में थे। फिर तृणमूल कांग्रेस भी उनके समर्थन में थे। बड़े बड़े पत्रकारों से लेकर सबके नाम उनके समर्थन में है। ये वही लोग हैं, जो कहते थे कि भारत सरकार फ्रीडम ऑफ प्रेस के खिलाफ काम कर रही है।

नेवल राय सिंघम के माध्यम से न्यूज क्लिक को चीन की कंपनियां फंडिंग कर रहे थे। लेकिन इनके सेल्समैन हिन्दुस्तान के कुछ लोग हो गए थे। जब इनके खिलाफ कार्रवाई हुई तो उनके पक्ष में खड़े हो गए। दुष्प्रचार के माध्यम से भारत के भोले-भाले लोगों को भ्रमित किया गया। ये फ्री न्यूज के माध्यम से फैक न्यूज परोसने वाले हैं।अपनी उल्लू सीधा करने वाली कांग्रेस पार्टी और अन्य दल फ्रीडम ऑफ प्रेस के नाम पर इनसे जुड़ गए।

न्यूज क्लिक को पैसा मिला, उसका रूट है। गौतम नौलखा का नाम सुना ही होगा। ये एक आरोपी है अलगार परिषद के माओवादी लिंक में, जो भीमागोरे गांव केस में अभी तक जेल में है। इन पर यूएपीए लगा हुआ है।न्यूज क्लिक को कुछ महीनों के बाद ही करोड़ो रूप्ए दिए गए। डेढ़ करोड़ रूप्ए एक इलेक्ट्रिशियन को दे दिया। इस पर राहुल गांधी से लेकर किसी भी विपक्षी दल के नेता ने कोई सवाल खड़े नहीं किया।

अनुराग ठाकुर ने कहा कि देश में एंटी इंडिया, ब्रेक इंडिया एजेंडा नहीं चलेगा। लाल कृष्ण अडवाणी जी ने एक बार बहुत पहले संसद में कहा था कि जब देश में कोई खड़ा होता है तो हमसबको साथ में खड़े होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि कौरव और पांडव भी एक साथ खड़े हो गए थे जब तीसरा सामने आ गया था। दुर्भाग्य देश का यह है कि कांग्रेस ने विदेशी से हाथ मिलाया। यही नहीं, सोनिया गांधी और राहुल गांधी को उस समय चीन से निमंत्रण मिला, जब वहां ओलम्पिक खेल हुए थे। तब कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार को भी चीन आने का न्योता दिया गया।

और, ये लोग उस समय चीन भी गए थे। खेल देखने गए थे और खेल करके आ गए। वहां पर एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया, जहां दो पार्टियों के बीच उच्चस्तरीय आदान-प्रदान होना था। पता नहीं वहां किस प्रकार उच्चस्तरीय आदान-प्रदान होना था। 2017 में यह देखने को मिला, जब डोकलाम में चीन की सेना ने आगे बढ़ने का प्रयास किया तो हमारी सेना ने मुहं तोड़ जवाब दिया। लेकिन राहुल गांधी उस समय चीन के राजदूत और अधिकारियों के साथ हाथ मिला रहे थे और उनके साथ खाना भी खा रहे थे।

न जाने कौन कौन से रणनीति का आदान-प्रदान कर रहे थे।इससे पता चलता है कि 2008 में जो एग्रीमेंट हुआ था, उस समय एक पेमेंट की गयी थी। उस समय चीन ने राजीव गांधी फाउंडेशन को पेमेंट किया था। 2005 से 2007 के बीच में राजीव गांधी फाउंडेशन को पेमेंट की गयी थी, यह पेमेंट उस समय की गयी थी जब सोनिया गांधी जी यूपीए की अध्यक्षा थी। वही यूपीए सरकार थी, जिस पर लाखो करोड़ रूप्ए का भ्रष्टाचार एवं घोटाले के आरोपी थे।

क्या उन्हें अपने भ्रष्टाचर को छुपाने और नए नैरेटिव बनाने के लिए चीन की मदद लेना पड़ेगा? जो एंटी इंडिया, ब्रेक इंडिया कम्पेन चलाते हैं क्या उन्हें उनका सहयोग लेना पड़ेगा।

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