Anjan mountain of Jharkhand is the birthplace of Lord Hanuman, devotees gathered on Ram Navami

रांची 06 April, (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी): झारखंड के गुमला में आंजन पर्वत की गुफा में स्थित आंजन धाम में रामनवमी पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। इस गुफा में हनुमान बाल रूप में अपनी अंजनी की गोद में विराजमान हैं। मान्यता है कि आंजन धाम भगवान हनुमान की जन्मभूमि है।

इस स्थल से जुड़ी मान्यताओं के जानकार आचार्य संतोष पाठक के अनुसार, हनुमान को भगवान शिव का 11वां अवतार रुद्रावतार माना जाता है। सनातन धर्मावलंबियों के व्यापक जनसमूह का विश्वास है कि झारखंड के गुमला जिला मुख्यालय से लगभग 21 किमी की दूरी पर स्थित आंजन पर्वत ही वह स्थान है, जहां माता अंजनी ने उन्हें जन्म दिया था।

माता अंजनी के नाम से इस जगह का नाम आंजन धाम पड़ा। इसे आंजनेय के नाम से भी जाना जाता है। आंजन धाम देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान हनुमान बाल रूप में मां अंजनी की गोद में बैठे हुए हैं।

आंजन धाम के मुख्य पुजारी केदारनाथ पांडेय बताते हैं कि माता अंजनी भगवान शिव की परम भक्त थीं। वह हर दिन भगवान की विशेष पूजा-अर्चना करती थीं। उनकी पूजा की विशेष विधि थी, वह वर्ष के 365 दिन अलग-अलग शिवलिंग की पूजा करती थीं।

इसके प्रमाण अब भी यहां मिलते हैं। कुछ शिवलिंग और तालाब आज भी अपने मूल स्थान पर स्थित हैं। आंजन पहाड़ी पर स्थित चक्रधारी मंदिर में आठ शिवलिंग दो पंक्तियों में हैं। इसे अष्टशंभू कहा जाता है। शिवलिंग के ऊपर चक्र है। यह चक्र एक भारी पत्थर का बना हुआ है।

केदारनाथ पांडेय के अनुसार, रामायण में किष्किंधा कांड में भी आंजन पर्वत का उल्लेख है। आंजन पर्वत की गुफा में ही भगवान शिव की कृपा से कानों में पवन स्पर्श से माता अंजनी ने हनुमान जी को जन्म दिया। आंजन से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर पालकोट बसा हुआ है। पालकोट में पंपा सरोवर है।

रामायण में यह स्पष्ट उल्लेख है कि पंपा सरोवर के बगल का पहाड़ ऋषिमुख पर्वत है, जहां पर कपिराज सुग्रीव के मंत्री के रूप में हनुमान रहते थे। इसी पर्वत पर सुग्रीव का श्री राम से मिलन हुआ था। यह पर्वत भी लोगों की आस्था का केंद्र है।

चैत्र माह में रामनवमी से यहां विशेष पूजा-अर्चना शुरू हो जाती है, जो महावीर जयंती तक चलती है। यहां पूरे झारखंड समेत देश भर से लोग आते हैं। झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, ओडिशा आदि राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।

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