Anant Bhai Ambani's 'Vantara' unveils wildlife sculptures in Mumbai

06.10.2024 – अनंत भाई अंबानी द्वारा स्थापित ‘वंतारा’, प्रदूषण से लेकर आवास विनाश तक आधुनिक जीवन के व्यापक पर्यावरणीय परिणामों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए डिज़ाइन की गई एक नई सार्वजनिक कला पहल की शुरुआत की है। शुरआती दौर में पिछले दिनों अनंत भाई अंबानी की ‘वंतारा’ ने मुंबई में प्लास्टिक प्रदूषण के छिपे हुए खतरे को उजागर करने के लिए आकर्षक वन्यजीव मूर्तियों का अनावरण किया।

4 से 6 अक्टूबर तक, मुंबई के प्रमुख स्थानों- कार्टर रोड, शिवाजी पार्क और जुहू बीच पर तीन वन्यजीव-प्रेरित मूर्तियां प्रदर्शित की गई, जिनमें से प्रत्येक मानव गतिविधि के कारण जानवरों के सामने आने वाली चुनौतियों को दर्शाती है। तार की जाली और स्थानीय रूप से प्राप्त सामग्रियों से बनी ये मूर्तियाँ न केवल कलात्मक अभिव्यक्ति हैं, बल्कि चिंतन का आह्वान भी हैं।

Anant Bhai Ambani's 'Vantara' unveils wildlife sculptures in Mumbai

प्रत्येक कलाकृति में वन्यजीवों को मानव अपशिष्ट के साथ बातचीत करते हुए दिखाया गया है, जो एक सूक्ष्म लेकिन मार्मिक अनुस्मारक है कि कैसे हमारी दैनिक आदतें- प्लास्टिक के उपयोग से लेकर शहरी विस्तार तक- पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करती हैं। एक इंस्टॉलेशन में एक एशियाई काले भालू को दिखाया गया है जिसका सिर एक फेंके गए प्लास्टिक कंटेनर में फंसा हुआ है, जो दर्शाता है कि कैसे जानवर अनजाने में मानव अपशिष्ट का शिकार बन जाते हैं।

एक अन्य मूर्ति में प्लास्टिक में उलझे दो फ्लेमिंगो को दर्शाया गया है, जो प्रदूषण के कारण पक्षियों के आवासों में व्यवधान का प्रतीक है। जुहू बीच पर, समुद्री जीवन पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिसमें जाल में फंसे और कचरे से घिरे कछुओं की एक सरल लेकिन आकर्षक मूर्ति है, जो समुद्री जीवों के सामने आने वाली चुनौतियों का प्रतिनिधित्व करती है।

यह पहल वंतारा के वन्यजीवों की रक्षा और पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने के व्यापक मिशन को दर्शाता है। गुजरात में 3,500 एकड़ में फैले अपने अभयारण्य के साथ, वंतारा ने वन्यजीव बचाव, पुनर्वास और पुनर्वनीकरण के प्रयासों का नेतृत्व किया है, जिसने 1 मिलियन से अधिक जानवरों के संरक्षण और 100 मिलियन पेड़ लगाने में योगदान दिया है।

ये प्रयास मानव प्रगति और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बहाल करने के एक बड़े दृष्टिकोण का हिस्सा हैं। जहाँ मूर्तियाँ मुंबई के निवासियों को इस विश्व पशु दिवस पर विचार करने और चिंतन करने के लिए प्रेरित करती हैं, वहीं ‘वंतारा’ देश के नागरिकों को अपने पर्यावरणीय पदचिह्न पर पुनर्विचार करने और छोटे बदलाव करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

प्रस्तुति : काली दास पाण्डेय

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