नई दिल्ली 11 Aug. (Rns): रूस ने चंद्रमा पर कदम रखने के लिए 47 साल बाद अपना अभियान लॉन्च कर दिया है। शुक्रवार तड़के स्थानीय समय के मुताबिक 2 बजकर 11 मिनट पर बोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से लूना-25 को लॉन्च किया गया। रूस से पहले भारत अपने अंतिरक्ष यान चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर भेजा गया है। दोनों ही मिशन का उद्देश्य चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराना और चांद की सतह का अध्ययन करना है। रूस और भारत दोनों के यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेंगे।
रूस ने 1976 के बाद पहली बार चंद्रमा पर अपने ‘लूना-25’ यान को भेजा है। इस यान का प्रक्षेपण यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की मदद के बिना किया गया। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद मॉस्को के साथ इस एजेंसी ने अपना सहयोग समाप्त कर दिया था।
रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के प्रमुख यूरी बोरिसोव के मुताबिक, लूना का लैंडर 21 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतर सकता है। पहले इसके लैंडिंग की तारीख 23 अगस्त बताई जा रही थी। इंटरफैक्स के मुताबिक, बोरिसोव ने लॉन्च के बाद वोस्तोचन कोस्मोड्रोम में कार्यकर्ताओं से कहा, “अब हम 21 तारीख का इंतजार करेंगे। मुझे उम्मीद है कि चंद्रमा पर बेहद सटीक सॉफ्ट लैंडिंग होगी।” लूना-25, लगभग एक छोटी कार के आकार का है, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक वर्ष तक काम करने के लक्ष्य से बनाया गया है।
लूना-25 मिशन की सफलता महत्वपूर्ण महत्व रखती है, क्योंकि रूसी सरकार का दावा है कि यूक्रेन संघर्ष के कारण पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध से रूसी अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुंचा है। ऐसे में पहली बार रूस ने अपने दम पर इस अंतरिक्ष मिशन को लॉन्च किया है। फरवरी 2022 में यूक्रेन से युद्ध के परिणामस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में रूस की भागीदारी खत्म हो गई थी, जिसके कारण पश्चिमी देशों के साथ रूस के अंतरिक्ष-संबंधी सहयोग में काफी कमी आई।
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