A meeting of the Congress Party's Parliamentary Strategy Group was held

नई दिल्ली, 14 जुलाई (Rns) । कांग्रेस पार्टी की पार्लियामेंट्री स्ट्रैटजी ग्रुप की एक मीटिंग हुई. पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा कि पार्लियामेंट्री स्ट्रैटजी ग्रुप की एक मीटिंग हुई है, करीब एक घंटे की मीटिंग थी। उसमें सभी बड़े नेता लोकसभा और राज्यसभा के पदाधिकारी मौजूद थे। राम रमेश ने कहा कि पार्लियामेंट मीटिंग में कांग्रेस पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता उपस्थित थे और उन सभी के तरफ से एक ही बात पर चर्चा हो रही थी कि देश में एक ऐसी सरकार है जो जुमलाजीवी, नाटकबाजी, ड्रामेबाजी में माहिर है ।  मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सभी साथियों को मेरा नमस्कार और मेरे साथ बैठे हुए सभी को मेरा प्रणाम।

आज जो हमारी पार्लियामेंट्री स्ट्रैटजी कमेटी की मीटिंग हमारी कांग्रेस अध्यक्षा के नेतृत्व में हुई और हमने वहाँ पर हर विषय पर चर्चा की और एक घंटे तक हमने हर मुद्दे पर बातचीत की, करने के बाद एक नतीजे पर हम आए हैं। जो महत्व के मुद्दे हैं, उनको उठाना चाहिए।पहला मुद्दा है कि एलपीजी और प्राइस राइस, इसको जोड़ते हुए हम उसको प्रायोरिटी देना चाहेंगे। उसके बाद में अग्निपथ स्कीम, अब आर्मी रिक्रूटमेंट का है, जो सारे देश में बहुत बड़ा युवकों में एक हंगामा मचा हुआ है और बहुत युवक लोग चिंतित भी हैं और हम उस सब्जेक्ट को भी वहाँ पर उठाना चाहते हैं।

उसके अलावा और अनएम्प्लॉयमेंट का इशू है, वो भी हम वहाँ पर प्रस्तावित करना चाहते हैं और उसी के साथ- साथ ये अटैक ऑन फेडरल स्ट्रक्चर, ये हमारे जो संघीय ढांचा है, उसको भी वो लोग जो आज खराब कर रहे हैं और उस फेडरल स्ट्रक्चर को भी वो खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं, उस विषय को भी हम सदन में उस मुद्दे को भी चर्चा में लेना चाहते हैं। उसके बाद में ये फिस्कल क्राइसिस, जो हमारा रुपए का मूल्य घटा है डॉलर के मुकाबले में और आज दिन-प्रतिदिन हमारी आर्थिक स्थिति भी कमजोर होती जा रही है, इसलिए उस मुद्दे पर भी हम चर्चा करेंगे।

उसके बाद ये माइनॉरिटी पर जो अन्याय हो रहे हैं और हेट स्पीच चल रहे हैं, उस पर भी हम दोनों सदनों में इस मुद्दे को चर्चा में लाना चाहते हैं। उसके अलावा जो ऑटोनमस बॉडी है, उनको कमजोर किया जा रहा है, मिसयूज किया जा रहा है और बहुत सी जगह सरकार खुद उसमें अपना इनफ्लुएंस यूज करके लोगों को, लीडरों को तंग करने का, ह्रास करने का, सरकारें गिराने का वो काम कर रही हैं, उस ईडी को और सीबीआई को लेकर वो काम भी कर रहे हैं, उस मुद्दे पर भी हम चर्चा चाहते हैं।उसके अलावा ये जो एक्सटर्नल थ्रेट है, जो चीन का आजकल सब जगह हमारे एरिया में जो आक्रमण हो रहा है, उस इशू को भी हम आगे बढ़ाना चाहते हैं, हाउस में उसके बारे में भी बात करना चाहते हैं।

उसके बाद जो फॉरेस्ट कंजरवेशन रुल हैं, जो पहले कांग्रेस पार्टी ने शेड्य़ूल ट्राइब के लिए, उनकी हिफाजत के लिए, उनकी रक्षा के लिए, उनकी जमीन की रक्षा के लिए जो कानून लाए थे, उसको रुल के मताबिक आगे करके वो डॉयल्यूट करना चाहते हैं।तो ये सारे मुद्दे हमारे सामने हैं। इन सभी मुद्दों पर चर्चा करके एक के बाद एक चर्चा में लेना और जो रुल, जो हमारे रुल ऑफ प्रोसीजर हैं, बिजनेस ट्रांजेक्शन रुल उसके मुताबिक हम वो रुल के मुताबिक ये मुद्दे उठाते रहेंगे और आखिरी और एक आपसे बात कहना चाहते हैं कि 17 को पार्लियामेंट्री अफेयर्स मिनिस्टर ने जो ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई है, उसके तत्काल बाद हमारे जो अपोजिशन पार्टी के और लीडर हैं, जो हम लाइक माइंडेड पार्टी, जो मिलकर सदन में काम करते हैं और करने की इच्छा रखते हैं, उनकी भी मीटिंग उसके बाद तुरंत हम वहीं पर करेंगे।

तो ये सारी चीजें हमने आपके सामने रखी हैं और यही चीजें हम आने वाले मानसून सेशन में रखेंगे और जो भी बिल आएंगे, क्योंकि बहुत से बिल हमारे जो स्टैंडिंग कमेटी में जो अप्रूव होकर चले गए या लोकसभा से अप्रूव होकर जो हमारे पास आने वाले हैं, उन सारी चीजों पर भी समय के अनुसार बातचीत करेगें और आगे आपको आगे का जो स्टेप्स है, क्या होने वाला है, वो आपको बताएंगे। क्योंकि हम तो बार-बार मिलते रहेंगे।

एक और जो एक बहुत बड़ा मुद्दा, जो बैंकों का निजीकरण, जो ये 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ था और श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने गरीबों के लिए बैंक जो खोला था, ये सरकार उसको, उस निजीकरण को नेशनलाइजेशन को हटाकर प्राइवेटाइजेशन करना चाहती है, उस बिल का भी हम विरोध कर रहे हैं और हम लड़ेंगे, क्योंकि ये 27 बैंक से 22 पर लाए, अब 22 से घटाकर अभी भी 20 पर ला रहे हैं और आहिस्ता –आहिस्ता निकाल कर वो  चाहते हैं कि देश में एक ही बैंक रहे, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया।तो ये उनकी मंशा है।

एक तरफ तो बैंकों का प्राइवेटाइजेशन हो रहा है, वो एक तरफ और जो नेशनलाइजेशन होकर लोगों को जो सहूलियत मिली थी, वो ये छीनना चाहते हैं, उसके खिलाफ भी हम लड़ेंगे।लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हमारे नेता खरगे साहब ने सारे मुद्दे को अपनी तरफ से, मतलब पार्टी की तरफ से जो हमारा सदन के अंदर चर्चा करने की मंशा है, वो सारे आपके सामने उजागर कर चुके हैं। नई बात बोलने की कुछ नहीं है।

सबसे पहले अभी भी हमें ये जानकारी नहीं है कि सरकार की तरफ से कौन सा विधेयक या मुद्दा सदन में चर्चा करने के लिए लाया जा रहा है, ये हमारे सामने अभी उतना ज्यादा खुलासा नहीं है।तो सरकार के अपने कितने बिजनेस सदन में लाना चाहते हैं, उसके ऊपर निर्भर करेगा कि हमारी तरफ से और कौन-कौन सा मुद्दा हम उठाने की कोशिश करेंगे, क्योंकि सरकार का बिजनेस और हमारा मुद्दा, दोनों मिलकर सदन चलता है। मुद्दे की कोई कमी नहीं है, जब तक हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी हैं, तो मुद्दे की कभी कोई कमी नहीं हो सकती है।

अनेक मुद्दे होने की अभी संभावना हैं, क्योंकि मोदी जी है तो मुद्दा भी मुमकिन है, एक नहीं, अनेक मुद्दे मुमकिन है। लेकिन हमारी तकलीफ ये है कि कितने मुद्दे हमारी तरफ से उठाने की सदन के अंदर हमें इजाजत मिलेगी या नहीं। ये हमारे सबसे बड़ी चुनौतियां हैं। क्योंकि जिधर से जाइए पंजाब से लेकर, नॉर्थ ईस्ट से लेकर कहीं बाढ़, कहीं तनाव, कहीं श्रीलंका इशू, कहीं चीन का इशू, सारे हमारे देश में चारों तरफ मुद्दे ही मुद्दे हैं।

चाहे आर्थिक हालात देखिए, सिकुड़ते जा रहे हैं और सबसे खास हमारे साम्प्रदायिक तनाव, सोशल टेंशन वो भी बढ़ती जा रही है। ये देश के लिए बड़ा हानिकारक होगा। एक तरफ, मतलब तन से सिर जुदा करने की और साथ-साथ मुसलमान समाज को खत्म करने की, ये दोनों तरफ से ये जो नजारा हमारे देश के सामने आज आ रहा है, इससे हम सब चिंतित हैं, क्योंकि हिंदुस्तान एक बड़ा देश है, इस देश को और सशक्त करने के लिए सोशल स्टेबिलिटी चाहिए।

समाज में शांति का माहौल कायम होना चाहिए, इसके लिए सदन के अंदर भी हम सरकार से ये बात रखने की मांग करेंगे, कि सरकार इसके बारे में क्या सोच रहे हैं। एक तो कम्युनिय़ल सोसाइटी हो रही हैं, हमारे आर्थिक हालात बिगड़ते जा रहे हैं, रोजाना रोजमर्रा के चीजों के दाम हैं, उनमें इजाफा हो रहा है, तो हम किधर जाएंगे, अंदर-बाहर चारों तरफ हमारी ये जो तकलीफ है, ये बढ़ती जा रही हैं।तो देखते हैं, हम चाहते हैं कि सदन सही ढंग से चले, सदन में ज्यादा से ज्यादा कामकाज हो और इस कामकाज में हम भी शिरकत लेना चाहते हैं।

जितना सदन के अंदर हमें मौका मिलना चाहिए, जैसे कि हमारा जीरो ऑवर है, क्वेश्चन ऑवर हैं, कॉलिंग अटेंशन है, प्राइवेट मेम्बर बिल, मतलब जो-जो है आप सब जानते हैं। सदन में आप लोगों को ज्यादा जानकारी भी है। ये सारे जो हमारे उपाय हैं, हमारे पास जितने औजार है, सबको हम इस्तेमाल करते हुए हमारे आम लोगों की बात रखने की कोशिश करेंगे। हमारे मुद्दे हिंदुस्तान के आम लोग परेशान हैं, हिंदुस्तान के आम लोग तकलीफ में हैं, हिंदुस्तान में बेरोजगारी का इजाफा हो रहा है धड्डल्ले से, तो लोगों की तकलीफ को उठाना और इस तकलीफ को सुलझाने की सरकार की क्या राय है, ये सरकार की राय मालुमात करना ये हमारा सदन में काम बनता है, फर्ज बनता है, वो भी काम हम करते रहेंगें और ये भी काम हम शांतिपूर्वक ढंग से करना चाहते हैं। सदन ढंग से चले, सारी चर्चा हो, हमें भी बात रखने का मौका दिया जाए, सरकार भी अपनी बात रखे, ये हम चाहते हैं।

शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि धन्यवाद जयराम जी। सबसे पहले आप सभी का स्वागत करता हूं। ये जो गला घोंटने की लोकतंत्र की आज पूरा देश जो देख रहा है, ये गुजरात में यही मोदी जी जब चीफ मिनिस्टर थे, मैं लीडर ऑफ अपोजिशन था, हम वहाँ के बिल्कुल विटनेस रहे हैं, इसी तरह से लोकतंत्र का गला घोंटा जाता था।

गुजरात से से फर्स्ट स्पीकर ऑफ लोकसभा मावलंक आते थे, उन मावलंकर ने खुद अपने पैसे दिए और उसके बाद हर सरकार फंड देती थी और मावलंकर ब्यूरो चलता था विधायकों, मंत्रियों की ट्रेनिंग का। मोदी बने मुख्यमंत्री, उस मावलंकर ब्यूरो को खत्म कर दिया, लोकतंत्र की ट्रेनिंग का गला घोंट दिया और आज आप देखें तो आंदोलन करना, वो संवैधानिक अधिकार है फिर भी वहाँ पर वो आंदोलनजीवी शब्द लाकर लोगों का मजाक बना रहे थे।

लोकतंत्र में जुमला देना, वो जायज नहीं है और इस देश के आज के गृहमंत्री ने खुद कहा कि चुनाव के वक्त हम कहते हैं, वो करना थोड़े ना होता है, वो तो जुमले होते हैं। वो बात हम उनको सुनाते हैं।

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