जोधपुर 28 Aug. (Rns/FJ): राजस्थान में जोधपुर के मसूरिया बाबा मन्दिर की पहाड़ी की तलहटी में स्थित “परचा नाडी” इन दिनों लोकदेवता बाबा रामदेव के भक्तों के लिए श्रृद्धा का केन्द्र बनी हुई है।
इस समय चल रहे प्रसिद्ध रामदेव मेले में पहुंच रहे तीर्थयात्री यहां स्नान कर खुद को धन्य मान रहे हैं। इस कारण इन दिनों परचा नाडी पर बाबा रामदेव के भक्तों का भीड़ उमड़ने लगी है। श्रद्धालुओं की मान्यता के अनुसार यहां स्नान करने से पापों का नाश होता है तथा व्यक्ति को मनावांछित फल मिलता है।
मन्दिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्र चौहान ने बताया कि यह परचा नाडी बहुत ही प्राचीन, चमत्कारी एवं अलौकिक है। लोकमान्यता के अनुसार इस परचा नाडी पर स्नान करने से अच्छी-बुरी आत्माओं से भी मुक्ति मिलती है तथा पूर्वजों के पुण्य का फल मिलता है।
मिश्रीलाल पंवार द्वारा लिखित पुस्तक ‘मसूरिया बाबा मंदिर’ के अनुसार वर्षों पूर्व मसूरिया क्षेत्र घने जंगलों एवं वनों वाला रमणीक स्थल था। मनुष्य जाति का कहीं दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं था। घने वृक्षों के झुंडों के बीच सभी जीव-जन्तु यहाँ एक परिवार के समान रहते थे। मसूरिया पहाड़ी के तलहटी में एक जलाशय था, जिसे आज लोग “परचा नाडी” के नाम से जानते हैं। इस प्राकृतिक जलाशय में बरसात का पानी भर जाता था तथा वन के जीव जन्तु अपनी प्यास यही पर आकर बुझाते थे। उनके जीवन का यह बहुत बड़ा सहारा थी। इस जलाशय का पानी कभी नहीं सूखता। यह सदा जल से सराबोर ही रहता। इस जलाशय से अनेक प्रसंग जुड़े हुए हैं।
इन प्रसंगों में बताया जाता है कि इस जलाशय पर शेर, हाथी, चीता, हिरण, भेड़, बकरी सहित बड़ी संख्या में दूसरे पशु-पक्षी बिना किसी डर-भय के वहाँ पानी पीते थे और यह सब बाबा रामदेव के गुरु महात्मा बालीनाथ की तपोभूमि के कारण होता था।
यह स्थान रामदेव के गुरु की तपस्वी स्थली होने के कारण इस स्थान को चमत्कारिक एवं अलौकिक शक्ति का स्थान माना जाता है और इस कारण खासकर बाबा रामदेव मेले के समय श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ने लगा है।
यह जलाशय परचा नाडी के नाम से देशभर में प्रसिद्ध है। भाद्रपद मास में मसूरिया बाबा के मन्दिर दर्शनार्थ आने वाले तीर्थयात्री यहाँ जरूर स्नान करते हैं। हजारों लोग इसके जल को “गंगाजल” की तरह प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। लोगों की मान्यता है कि इस परचा नाडी में स्नान करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं। पापों का नाश होकर जीवन का कल्याण भी हो जाता है। वहीं रोग-शोक से मुक्ति मिलती है।
*****************************************