*बिना लक्षण वाले मरीजों की होगी पहचान*
नई दिल्ली 19 Aug. (Rns/FJ): भारत में मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे के बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने एक बड़ी योजना बनाई है। सूत्रों के अनुसार ICMR मंकीपॉक्स के रोगियों के साथ संपर्कों पर सीरोलॉजिकल (रक्त सीरम) सर्वे करने की योजना बना रहा है, ताकि मामलों की पहचान और आकलन किया जा सके। भारत में अब तक मंकीपॉक्स के 10 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। एक रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में मंकीपॉक्स के लक्षण अफ्रीकी क्षेत्रों में पिछले संक्रमित लोगों की तुलना में काफी अलग थे।
पिछले कुछ महीनों में लंदन में संक्रमित होने वाले 197 पुरुषों में देखे गए लक्षणों के आधार पर किए गए अध्ययन में यह भी पाया गया कि उनमें से केवल एक चौथाई ने मंकीपॉक्स संक्रमण की पुष्टि वाले किसी व्यक्ति के साथ संपर्क किया था। अध्ययन में यह भी पाया गया कि ऐसे व्यक्तियों से ट्रांसमिशन की संभावना बढ़ गई है, जो बिना लक्षणों के थे या उनमें कुछ लक्षण थे। बीएमजे ने एक बयान में कहा कि इन निष्कर्षों को समझने के बाद कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, सार्वजनिक स्वास्थ्य सलाह और संक्रमण नियंत्रण के साथ आइसोलेशन उपायों पर काफी प्रभाव पड़ेगा।
मंकीपॉक्स संक्रमण के लक्षणों में बुखार, अस्वस्थता, पसीना, सूजी हुई लिम्फ नोड्स और सिरदर्द शामिल हैं। संक्रमण के 2-4 दिनों के बाद त्वचा का फटना भी एक लक्षण है। अध्ययन के अनुसार त्वचा में घाव एक साथ होता है और एक पैटर्न से आगे बढ़ता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने हाल ही में संसद में मंकीपॉक्स को लेकर कहा था कि सरकार ने इसके प्रसार को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं।
राज्य सरकारों के सहयोग से जागरूकता अभियान से लेकर डायग्नोस्टिक्स और टीकों के विकास की निगरानी के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया गया है। उन्होंने कहा था कि मंकीपॉक्स से घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह कोई नई बीमारी नहीं है। यह केवल क्लोज कॉन्टैक्ट से फैलती है।
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