*जन्मदिन के पूर्व संध्या पर होता है लाला का छटी पूजन*
मथुरा ,17 अगस्त (आरएनएस/FJ)। कंस के कारागार में भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को अजन्मे का जन्म होगा। भगवान श्रीकृष्ण रात रात के 12 बजे मथुरा में कंस के कारागार में अवतरित होंगे। इससे पहले जन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर यानी सप्तमी की शाम को गोकुल के नंद भवन में लाला की छटी पूजन होगा। बच्चे के जन्म के छटवें दिन छटी पूजन होता है लेकिन कान्हा छटी पूजन उनके जन्म के ठीक एक साल बाद यानी पहले जन्मदिन की पूर्व संध्या पर हुआ था।
गोकुल के नंदभवन नंदकिला मंदिर में जन्मोत्सव से एक दिन पहले छठ पूजन किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि छठ पूजन करने से महिलाओं को पुत्र प्राप्ति होती है। छठ पूजन में हलवा, पूड़ी का प्रसाद वितरित किया जाता है। पुजारी मथुरादास का कहना है कि मैया यशोदा ने राक्षसों के डर से लाला का छठ पूजन नहीं किया था। मथुरा में कंस के कारागार में जन्मे भगवान श्रीकृष्ण को वासुदेव जी रात में ही उफनती यमुना नदी से होकर गोकुल में नदबाबा के यहां पहुंचा आए थे। रात में कंस के कारागार में जन्मे देवकीनंदन सुबह गोकुल में नंदनंदन हो गए। गोकुल वासी हर्षित हो उठे लेकिन कान्हा के आगमन की खुशियां नहीं मना पाए। रात में ही आकाशवाणी हुई और कंस को यह अवगत हो चुका था उसके मारने वाला ब्रज में पैदा हो चुका है।
कंस ने नवजातों को मारने का आदेश दे दिया था। कान्हा के आगमन की कंस को पता न चले इसके लिए कान्हा को छुपा कर रखा गया। इस आपाधापी में माता यशोदा लाला की छटी पूजना भी भूल गई। जब कान्हा एक साल के हो गए और पहला जन्मदिन मनाने का अवसर आया तो शाम को नंदबाबा ब्राह्मणों के पास पहुंचे लेकिन उन्हें पता चला कि लाला का छठी पूजन नहीं हुआ है और अभी तक सोबर चल रही है। ऐसे में जन्मोत्सव पर पूजन नहीं हो सकता।
आनन फानन में जन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर लाला की छटी पूजी गई। इस परंपरा को गोकुलवासी परंपरागत रूप से आज भी निर्वान्ह कर रहे हैं। नंद भवन में जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर प्रतिवर्ष लाला का छठी पूजन विधि विधान से किया जाता है।
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