11 rapists pardoned by Gujarat government Congress

नई दिल्ली, 17 अगस्त (आरएनएस/FJ) । कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने गुजरात सरकार द्वारा बलात्कार और हत्या के 11 अभियुक्तों के क्षमा और रिहाई देने के मामले को लेकर कहा कि गुजरात सरकार का दावा है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अभियुक्तों को रिहा किया है। जबकि माननीय सर्वोच्च अदालत ने गुजरात सरकार को 3 महीने के भीतर रिहाई पर विचार करने को कहा था।

इसलिए बलात्कार एवं हत्या के अभियुक्तों को रिहा करने का फैसला पूर्ण रूप से कार्यपालिका का है न कि न्यायपालिका का है। पवन खेड़ा ने कहा कि गुजरात सरकार के अनुसार अभियुक्तों के क्षमा एवं रिहाई का निर्णय 1992 की नीति के तहत लिया गया है। लेकिन सच्चाई ये है कि 8 मई 2013 को गुजरात सरकार द्वारा यह नीति समाप्त कर दी गई थी।

पवन खेड़ा ने कहा कि आपको याद दिलाना चाहूंगा कि उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। पवन खेड़ा ने कहा कि गुजरात सरकार का वह परिपत्र भी लाया हूं। जिसके अनुसार 1992 की नीति को समाप्त किया गया था।पवन खेड़ा ने कहा कि गुजरात सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट पर भी 1992 की नीति का कोई जिक्र नहीं है।

यह नीति वहां भी दिखाई नहीं देती। पवन खेड़ा ने कहा कि 2014 के केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशा निर्देशों के अनुसार भी हत्या, सामूहिक बलात्कार जैसे मामलों में अभियुक्तों की क्षमा या रिहाई पर रोक लगा दी गई है। पवन खेड़ा ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण कानूनी तथ्य यह है कि ऐसे किसी भी अपराध जिसकी जांच केंद्रीय एजेंसी द्वारा की गई हो, जैसा इस प्रकरण में सीबीआई द्वारा जांच की गई, तो राज्य सरकार अभियुक्तों की रिहाई या क्षमा का निर्णय नहीं ले सकती।

पवन खेड़ा ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 435 के तहत राज्य सरकार को केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होती है। मैं आपको याद दिला दूं जब तमिलनाडु की मुख्यमंत्री सुश्री जयललिता जी ने राजीव गांधी जी के हत्यारों को रिहा करने का फैसला लिया था कब सुप्रीम कोर्ट ने क्या आदेश दिया था।

ऐसे में हम केंद्रीय गृह मंत्री एवं प्रधानमंत्री से जानना चाहते हैं कि क्या गुजरात सरकार ने रिहाई देते समय आपकी अनुमति ली थी? अगर राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से अनुमति नहीं ली थी तो क्या गुजरात सरकार के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। पवन खेड़ा ने कहा कि  गुजरात सरकार के मुख्यमंत्री से भी पूछना चाहेंगे कि क्या सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में यह बात लाई गई कि 8 मई 2013 को 1992 की नीति को समाप्त कर दिया गया था।

हम गुजरात के मुख्यमंत्री से यह भी जानना चाहेंगे कि जेल सलाहकार समिति में कौन-कौन लोग हैं जिन्होंने सर्वप्रथम इन अभियुक्तों को रियायत और क्षमा करने की अनुशंसा की गई

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