समंदर का धुरंधर
भारतीय नौसेना को एक और ‘समंदर का धुरंधर’ मिल गया है। नौसेना के बेड़े में ‘आईएनएस विशाखापट्टनम’ के शामिल होने से हमारी समुद्री सैन्य ताकत में शानदार इजाफा हुआ है। यह प्रोजेक्ट 15बी का पहला स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक जहाज है। इसे नौसेना के शीर्ष कमांडरों की मौजूदगी में रविवार को सेवा में शामिल किया गया। नौसेना अध्यक्ष एडमिरल करमबीर सिंह ने इस अवसर को ‘युद्धपोत आत्मनिर्भरता का शानदार उदाहरण’ करार दिया। दो दिन बाद पनडुब्बी ‘वेलाÓ को भी नौसेना में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा अगले महीने सर्वे वैसल ‘संध्या’ को नौसेना की सेवा में ले लिया जाएगा। मिसाइल भेदी जहाज ‘आईएनएस विशाखापट्टनम’ कई खूबियों वाला है। सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस यह जहाज ब्रह्मोस-बराक जैसी विध्वंसक मिसाइलों से लैस है। इसमें सुपरसोनिक सतह से सतह और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, मध्यम और शॉट रेंज गन, एंटी सबमरीन रॉकेट, एडवांस इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और कम्युनिकेशन सूट जैसी खूबियां भी हैं। आईएनएस विशाखापट्टनम की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह दुश्मन के जहाज को देखते ही एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल लॉन्च कर उसका खात्मा कर सकता है। साथ ही यह भी गर्व की बात है कि यह युद्धक जहाज पूरी तरह से स्वदेशी है। कुल 74 हजार टन वजनी इस जहाज की लंबाई 535 फुट है। बताया जा रहा है कि लगभग 56 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाला यह युद्धक जहाज जब धीमी गति से भी चलता है तो इसकी रेंज में 7400 किलोमीटर क्षेत्र रहता है। यानी विशाल समुद्री क्षेत्र में भारतीय नौसैनिकों की सजग निगाहें बनी रहेंगी। बेशक भारतीय नौसेना के पास और भी कई युद्धक जहाज हैं, लेकिन आईएनएस विशाखापट्टनम अत्याधुनिक खूबियों वाला और समयानुकूल है। कई खूबियों वाले इस जहाज का नौसेना के बेड़े में शामिल होना गौरव की बात तो है ही, साथ ही दुनिया भी भारत की समुद्री ताकत से रू-ब-रू हो गई। आईएनएस विशाखापट्टनम के साथ ही पनडुब्बी वेला जब नौसेना का हिस्सा बन जाएगी तो इसकी ताकत में इजाफा ही होगा। भारत के पास अभी कुल 13 पनडुब्बियां हैं। ये पनडुब्बियां रूस और जर्मनी में निर्मित हुई हैं। देश की पहली परमाणु शक्ति चालित पनडुब्बी अरिहंत पहले से नौसेना के बेड़े का हिस्सा है। नौसेना प्रमुख के मुताबिक फिलवक्त 41 में से 39 पोत और पनडुब्बी के ऑर्डर भारतीय शिपयार्ड को दिए गए हैं। यानी भारतीय नौसेना को मजबूत बनाने की दिशा में पूरी पहल हो रही है।
यूं तो भारतीय सेनाओं के तीनों अंगों को लगातार मजबूत किया जा रहा है, लेकिन समुद्री ताकत को ज्यादा मजबूत करना वक्त की जरूरत है। जैसा कि इस जहाज को नौसेना के बेड़े में शामिल करते वक्त रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि स्थिरता, आर्थिक प्रगति और दुनिया के विकास के लिए नेविगेशन की नियम आधारित स्वतंत्रता, समुद्री गलियारों की सुरक्षा पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। ऐसे में इस बात का ध्यान रखना लाजिमी है कि सभी भागीदार देशों के हित सुरक्षित रह सकें। इस क्षेत्र की सुरक्षा में हमारी नौसेना की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। साथ ही यह भी ध्यान रखने की बात है कि पड़ोसी देश चीन ने अपनी विस्तारवादी सोच को समुद्र में भी नहीं छोड़ा है। दक्षिण चीन सागर में चीन द्वीपों का सैन्यीकरण कर रहा है, जिसकी वैश्विक रूप से आलोचना होती रही है। इस क्षेत्र को लेकर पूर्वी और दक्षिण पूर्वी कई एशियाई देशों के व्यापक दावे हैं। ऐसे में शक्ति संतुलन के लिए आईएनएस विशाखापट्टनम जैसे युद्धक जहाजों की जरूरत भारत को थी। सामरिक महत्ता के अलावा विश्व अर्थव्यवस्था के लिए भी भारत का समुद्री क्षेत्र बेहद महत्वपूर्ण है। आज वैश्विक सुरक्षा कारणों, सीमा विवादों और समुद्री प्रभुत्व को बनाए रखने के महत्व के कारण दुनियाभर के देश अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत और आधुनिक बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। ऐसे में भारत ने खुद को समुद्री शक्ति संपन्न देशों की कतार में ला खड़ा किया है जो गौरवान्वित करने वाली बात है। (एजेंसी)