Supreme Court strict on Revdi culture, sought suggestions from Center and Election Commission in 7 days to stop it

रोकने के लिए 7 दिन में केंद्र और चुनाव आयोग से मांगा सुझाव

नई दिल्ली ,03 अगस्त (आरएनएस/FJ)।  सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में चुनाव से पहले रेवड़ी कल्चर को खत्म करने को लेकर सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने एक बार फिर से कहा है कि ये एक गम्भीर मुद्दा है। चुनाव आयोग और सरकार इससे पल्ला नहीं झाड़ सकते और ये नहीं कह सकते कि वे कुछ नहीं कर सकते।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार और चुनाव आयोग इस पर रोक लगाने के लिए विचार करे। बता दें कि देश भर में चुनाव से पहले लगभग हर राजनीतिक पार्टियां जनता को अपने पाले में करने के लिए कई तरह के लोकलुभावन ऐलान करती है। खास कर हर चीज़ मुफ्त में बांटने का प्रचलन सा चल पड़ा है। इसे आम भाषा में ‘रेवड़ी कल्चर कहा जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने फ्री बी यानी ‘रेवड़ी कल्चर से निपटने के लिए एक विशेषज्ञ निकाय बनाने की वकालत की। कोर्ट ने कहा कि इसमें केंद्र, विपक्षी राजनीतिक दल, चुनाव आयोग, नीति आयोग , आरबीआई और अन्य हितधारकों को शामिल किया जाए।साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निकाय में फ्री बी पाने वाले और इसका विरोध करने वाले भी शामिल हों।

सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा ये मुद्दा सीधे देश की इकानॉमी पर असर डालता है। इस मामले को लेकर एक हफ्ते के भीतर ऐसे विशेषज्ञ निकाय के लिए प्रस्ताव मांगा गया है। अब इस जनहित याचिका पर 11 अगस्त को अगली सुनवाई होगी।

वोट दे कर सरकार बनाने के एवज में फ्री में जनता को सामान देने का वादा करने वाली पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने बताया कि ये कैसे देश राज्य और जनता पर बोझ बढ़ाता है। सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इससे वोटर की अपनी राय डगमगाती है।

ऐसी प्रवृत्ति से हम आर्थिक विनाश की ओर बढ़ रहे हैं।

चुनावों में मुफ्त की घोषणा वाले वादे के खिलाफ अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर केंद्र सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सैद्धांतिक तौर पर हम इस याचिका का समर्थन करते हैं।

फ्री देना अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है। बता दें कि इस साल जनवरी में प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने केंद्र और चुनाव आयोग दोनों से इस मामले को लेकर जवाब मांगा था।

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