In Sawan, the wishes of the devotees are fulfilled, devotees also come from Nepal

सीतापुर ,24 जुलाई (आरएनएस/FJ)। सावन में भक्तों की मांगी मुरादें होती हैं पूरी, नेपाल से भी आते हैं श्रद्धालु.  गांजर क्षेत्र का पौराणिक शिव शक्ति धाम मोइया शिवाला लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र बन चुका है। शिव शक्ति धाम मोइया का शिवाला करीब तीन सौ पुराना है। जिसकी स्थापना राजा मल्लापुर रियासत के मोइया गांव निवासी हरिपाल सिंह और महिपाल सिंह ने की थी। स्थापना हेतु काशी के विद्वानों को बुलाया गया था।

करीब नौ दिन विधिवत अनुष्ठान के उपरांत भगवान शंकर सहित पूर्ण शिव परिवार विराजित हुआ था। मंदिर स्थापना पूजन के दरम्यान निरन्तर बारिश होती रही। जिसको लोक कल्याण की दृष्टि से देखा गया। मंदिर परिसर पांच बीघे में विस्तृत है जिसमें विकास कार्य चलते रहते हैं। वर्ष 1977 में हरिपाल सिंह के पौत्र शिव बक्श सिंह ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। मंदिर के वर्तमान व्यवस्थापक राहुल सिंह के द्वारा पुनरू वर्ष 2014 में मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया गया।

जिसके उपरांत मंदिर की चारदीवारी का निर्माण करवाया गया। मंदिर में यात्रियों के ठहरने के लिए तीन हजार वर्गफीट एरिया में कमरे और बरामदे का निर्माण करवाया गया। साथ ही छायादार पेड़ मंदिर की शोभा बढ़ा रहे हैं। राहुल सिंह ने बताया कि मंदिर में प्रतिवर्ष सावन के महीने में भव्य मेले जैसा माहौल रहता है और हजारों की संख्या में कांवर यात्री चहलारी घाट से जल भरकर लेकर शिव शक्ति धाम मोइया शिवाला में जलाभिषेक करते थे। सावन मास के हर सोमवार को सामान्य से अधिक भीड़ होती है और मेले जैसी स्थिति समूचे सावन में बनी रहती है।

मंदिर के बाहर बनी सौ मूर्तियां भी आकषर्ण का केंद्र

मंदिर पर शानदार नक्काशी के साथ लगभग सौ मूर्तियां मंदिर के बाहर सतह पर शिवलिंग, माता गौरी, श्री गणेश, श्री कार्तिकेय के साथ साथ श्री दरबार और श्री हनुमान की मूर्तियां निर्मित है। जो देखते बनती है जो मंदिर की अलौकिक छटा बिखेर रही है। इसके साथ ही नेपाल से आकर भक्तजन माथा टेंककर आशीर्वाद लेते है और मांगी हुई मुराद भोले बाबा पूर्ण करते है। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की स्नान करने व ठहरने अच्छी जगह उपलब्ध है।

मंदिर में प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा अर्चना सुबह व शाम को होती है। पूजा अर्चना के बाद लोंगों को प्रसाद किया जाता है। साथ में सावन माह में 24 घण्टे का शिव जाप किया जाता है। मान्यता है कि आस पास के लोगों का अगर कोई कीमती सामान चोरी होता है और किसी पर शक होता है तो मोइया शिवाला आकर कसम खिलाई जाती है।

कसम खाने वाला ब्यक्ति झूठी कसम खाता है तो उसका कुछ न कुछ नुकसान अवश्य हो जाता है। इसीलिए यहां पर आया हुआ व्यक्ति झूठी कसम नहीं खाता है। मंदिर के व्यस्थापक राहुल सिंह ने बताया कि सावन मास में इस समय सैकड़ों श्रद्धालुओं का आने जाने क्रम चल रहा है।

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