साबरमती आश्रम पुनर्विकास से जुड़ा मामला
नई दिल्ली,01 अपै्रल (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी द्वारा साबरमती आश्रम पुनर्विकास परियोजना के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया.
न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ के समक्ष मामला सुनवाई के लिए आया. पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि याचिका दायर करने में दो साल से अधिक की देरी हुई है.
बता दें कि गुजरात उच्च न्यायालय ने वर्ष 2022 में तुषार गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला दे दिया था. राज्य सरकार के इस आश्वासन के बाद कि प्रस्तावित परियोजना से साबरमती आश्रम का मुख्य क्षेत्र प्रभावित नहीं होगा, याचिका खारिज कर दी थी.
जिसके दो साल बाद तुषार गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मात्र आशंका के आधार पर हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती नहीं दी जा सकती.
याचिकाकर्ता ने याचिका में तर्क दिया गया कि परियोजना में कथित रूप से 40 से अधिक समरूप इमारतों की पहचान की गई है, जिन्हें संरक्षित किया जाएगा. जबकि शेष लगभग 200 को नष्ट कर दिया जाएगा या उनका पुनर्निर्माण किया जाएगा.
बता दें कि साबरमती आश्रम को गांधी आश्रम के नाम से भी जाना जाता है. इसकी स्थापना महात्मा गांधी ने 1917 में अहमदाबाद में की थी.
गुजरात उच्च न्यायालय में तुषार गांधी ने याचिका दायर की थी कि प्रस्तावित साबरमती आश्रम पुनर्विकास परियोजना से आश्रम की स्थलाकृति बदल जाएगी.
गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया था कि पुनर्विकास के दौरान पांच एकड़ में फैले मुख्य आश्रम परिसर को नहीं छुआ जाएगा.
जिसके बाद, वर्ष 2022 में गुजरात उच्च न्यायालय ने गांधी की याचिका का निपटारा कर दिया था. राज्य सरकार ने तब हाईकोर्ट में आश्वासन दिया था कि आश्रम का मुख्य क्षेत्र प्रभावित नहीं होगा.
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