Telangana tunnel accident Rescue operation intensified to reach 8 trapped people

नागरकुरनूल,27 फरवरी (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। श्रीशैलम सुरंग नहर परियोजना हादसे के छठे दिन बचाव अभियान में जुटे कर्मियों को सफलता नहीं मिली है. इस अभियान में जुटे अधिकारियों ने यह भी साफ नहीं किया है कि सुरंग में फंसे लोगों को बाहर निकालने में और कितना वक्त लगेगा. हालांकि, उन्हें बचाने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास जारी है.

कहा जा रहा कि सुरंग में खराब पड़ी टीबीएम मशीन बचाव अभियान में बाधा बनी है. ये मशीन सुरंग में फंसे लोगों और बचावकर्मियों के बीच में है जिससे उनके आगे बढऩे का रास्ता बंद है. अब इस मशीन को ही काटने का काम किया जा रहा है. इसे काट कर टुकड़ों में सुरंग से बाहर निकाला जाएगा. इसके बार रास्ता साफ होने पर बचाव दल आगे बढ़ेंगे.

नागरकुरनूल के पुलिस अधीक्षक वैभव गायकवाड़ ने कहा कि सुरंग में कन्वेयर बेल्ट के क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत दिन में कर दी जाएगी, ताकि मलबे का परिवहन आसान हो सके. जब अधिकारी से पूछा गया कि क्या गैस कटर ने काम करना शुरू कर दिया है, तो उन्होंने कहा कि यह पहले ही हो चुका है. गैस काटने वाली मशीनें अंदर भेज दी चली गई है. रात में भी उन्होंने कुछ काटने का काम किया.

तेलंगाना के मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने बुधवार को कहा कि अंदर लगी टीबीएम को गैस कटर से टुकड़ों में काटकर निकाला जाएगा. इसके बाद सेना, नौसेना, रैट माइनर्स और एनडीआरएफ की टीमें अपनी सुरक्षा से समझौता किए बिना लापता आठ लोगों को बचाने के लिए एक और गंभीर प्रयास करेगी. एक सवाल के जवाब में एसपी ने कहा कि वह इस बात का जवाब नहीं दे सकते कि फंसे हुए लोगों का आज पता चल पाएगा या नहीं.

रिपोर्ट के अनुसार सुरंग के काम में लगे कुछ मजदूरों ने डर के कारण जगह छोडऩे की बात कही है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि श्रीशैलम लेफ्ट बैंक नहर परियोजना पर 800 लोग काम कर रहे हैं. इनमें से 300 स्थानीय हैं जबकि बाकी झारखंड, ओडिशा और यूपी जैसे राज्यों से हैं.

एसएलबीसी परियोजना की ठेकेदार कंपनी जेपी ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष जयप्रकाश गौड़ ने बुधवार को इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कठिन कार्यों के दौरान दुर्घटनाएं हो सकती हैं. इस सुरंग को खोदने का काम एक प्राइवेट कंपनी को सौंपा गया था.

फंसे हुए लोगों की पहचान मनोज कुमार (यूपी), श्री निवास (यूपी), सनी सिंह (जम्मू-कश्मीर), गुरप्रीत सिंह (पंजाब) और संदीप साहू, जेगता जेस, संतोष साहू और अनुज साहू के रूप में हुई है. ये सभी झारखंड के रहने वाले हैं. आठ लोगों में से दो इंजीनियर, दो ऑपरेटर और बाकी चार मजदूर हैं.

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