Why doesn't the crypto industry have access to CKYC despite complying with KYC rules

भारतीय नागरिकों की सुरक्षा, अनुपालन और पारदर्शिता के लिए क्रिप्टो एक्सचेंज को सीकेवाईसी  एक्सेस मिलना जरूरी

नई दिल्ली, 23 फरवरी (एजेंसी)। भारत में क्रिप्टो इंडस्ट्री तेजी से विकास कर रही है, लेकिन नियामकीय असमानताएं अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। क्रिप्टो एक्सचेंज और वॉलेट सेवा प्रदाताओं को ‘प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट’ (धन शोधन निवारण अधिनियम), 2002 के तहत नाऊ योर कस्टमर (अपने ग्राहक को जानें ) नियमों का पालन करना अनिवार्य है। इन्हें उपयोगकर्ताओं की पहचान सत्यापित करनी होती है, सभी लेनदेन का रिकॉर्ड रखना होता है और संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट – इंडिया (एफआईयू -आईएनडी) को भेजनी होती है।

इसके बावजूद, इन प्लेटफॉर्म्स को सेंट्रल केवाईसी (सीकेवाईसी) प्रणाली में शामिल नहीं किया गया है, जिससे उनके लिए केवाईसी प्रक्रिया जटिल और महंगी हो जाती है।सेंट्रल केवाईसी रजिस्ट्री एक सरकारी डेटाबेस है, जो वित्तीय संस्थानों को ग्राहकों की केवाईसी जानकारी को एक ही स्थान से वेरिफाई करने की सुविधा देता है।

इससे न केवल समय की बचत होती है, बल्कि सुरक्षा और दक्षता भी बढ़ती है। वर्तमान में, सीकेवाईसी तक पहुंच सिर्फ उन्हीं वित्तीय संस्थानों को दी जाती है, जो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीआई) और पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण ( पीएफआरडीए ) द्वारा विनियमित हैं। हालांकि, क्रिप्टो प्लेटफॉर्म्स को भी  पीएमएलए के तहत ‘रिपोर्टिंग एंटिटी’ माना जाता है, फिर भी उन्हें इस सुविधा से बाहर रखा गया है।

सीकेवाईसी एक्सेस न होने के कारण क्रिप्टो प्लेटफॉर्म्स को उपयोगकर्ताओं की पहचान मैन्युअली वेरिफाई करनी पड़ती है, जिससे प्रक्रिया धीमी और महंगी हो जाती है। पारंपरिक वित्तीय संस्थानों को जहां मजबूत केवाईसी और धोखाधड़ी रोकने वाले टूल्स मिलते हैं, वहीं क्रिप्टो प्लेटफॉर्म्स को ये सुविधाएं नहीं दी जातीं।

इससे न केवल उनकी संचालन लागत बढ़ती है, बल्कि धोखाधड़ी रोकने की उनकी क्षमता भी सीमित हो जाती है। भारत ने फिनटेक के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन क्रिप्टो इंडस्ट्री को पारंपरिक वित्तीय संस्थानों से अलग रखने की नीति इस क्षेत्र की वृद्धि में रुकावट डाल रही है।

केवाईसी नियमों को एकीकृत करने के लिए पूर्व वित्त सचिव टी.वी. सोमनाथन की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई थी। लेकिन अब तक इस चर्चा में क्रिप्टो एक्सचेंज जैसे वर्चुअल एसेट सर्विस प्रोवाइडर्स ( भीएएसपी ) को शामिल नहीं किया गया है। क्रिप्टो उद्योग किसी विशेष रियायत की मांग नहीं कर रहा, बल्कि मौजूदा नियामक ढांचे तक समान और निष्पक्ष पहुंच चाहता है।

यदि सभी वित्तीय संस्थाओं, जिनमें भीडीए  भी शामिल हैं, को एक जैसे अनुपालन मानकों के तहत लाया जाए, तो यह प्रणाली अधिक पारदर्शी और प्रभावी बन सकती है। क्रिप्टो प्लेटफॉर्म को सीकेवाईसी तक पहुंच देने से न केवल नियामकों बल्कि व्यवसायों और उपयोगकर्ताओं को भी लाभ मिलेगा। इससे क्रिप्टो कंपनियां बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों की तरह ही  एएमसी  और केवाईसी मानकों का पालन कर सकेंगी, जिससे अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।

साथ ही, उपयोगकर्ताओं के लिए ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया आसान होगी और सुरक्षा एवं निगरानी मजबूत होने से उपभोक्ताओं का विश्वास भी बढ़ेगा। पर बेहतर निगरानी रख सकेंगी और मनी लॉन्ड्रिंग व धोखाधड़ी को रोकने में अधिक प्रभावी साबित होंगी। भारत का क्रिप्टो इकोसिस्टम अभी विकसित हो रहा है, लेकिन इसे एक मजबूत और पारदर्शी नियामकीय व्यवस्था की जरूरत है।

यदि सरकार क्रिप्टो प्लेटफॉर्म्स को सीकेवाईसी प्रणाली में शामिल करती है, तो इससे न केवल मनी लॉन्ड्रिंग रोधी (एएमएल ) उपायों को मजबूती मिलेगी, बल्कि क्रिप्टो को लेकर लोगों का विश्वास भी बढ़ेगा। सरकार को चाहिए कि वह एक निष्पक्ष और समावेशी नीति अपनाए, ताकि नवाचार को बढ़ावा मिले और भारत का डिजिटल एसेट सेक्टर पूरी दुनिया में आगे बढ़ सके।

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