Editorial scrutiny of the traditional press has all but disappeared

सोशल मीडिया के दौर में

अश्विनी वैष्णव ने कहा

नई दिल्ली,27 नवंबर (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को कहा कि पारंपरिक प्रेस में संपादकीय जांच ने जवाबदेही लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो सोशल मीडिया के इस दौर में पूरी तरह से गायब हो चुकी है।

संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान एक प्रश्न का उत्तर देते हुए केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया और ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म को नियंत्रित करने वाले मौजूदा कानूनों को मजबूत करने और सामाजिक सहमति बनाने की जरूरत पर जोर दिया।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, लोकतांत्रिक संस्थाएं और प्रेस के पारंपरिक रूप कभी जवाबदेही और सामग्री की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए संपादकीय जांच पर निर्भर हुआ करते थे। अब हम सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म के दौर में जी रहे हैं। जहां समय के साथ इन जांचों को कम होते देखा जा रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि इस तरह की संपादकीय निगरानी के अभाव में सोशल मीडिया एक तरफ प्रेस की स्वतंत्रता का मंच बन गया है, लेकिन दूसरी तरफ, यह अनियंत्रित अभिव्यक्ति का स्थान भी बन गया है, जिसमें अक्सर अश्लील सामग्री शामिल होती है।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की सांस्कृतिक संवेदनशीलता उन क्षेत्रों से बहुत अलग है, जहां ये प्लेटफॉर्म बनाए गए थे।

केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा, भारत के लिए मौजूदा कानूनों को और अधिक सख्त बनाना अनिवार्य हो जाता है और उन्होंने सभी से इस मामले पर आम सहमति बनाने का आग्रह किया।

अश्विनी वैष्णव ने संसदीय स्थायी समिति से इस महत्वपूर्ण मुद्दे को प्राथमिकता के तौर पर लेने का भी आग्रह किया।

उन्होंने कहा, इस पर सामाजिक सहमति होनी चाहिए, साथ ही इस चुनौती से निपटने के लिए सख्त कानून भी होने चाहिए।

इस महीने की शुरुआत में, फेक न्यूज से निपटने और लोकतंत्र की रक्षा के लिए डिजिटल मीडिया में जवाबदेही को लेकर केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि इंटरनेट प्लेटफॉर्म को ऐसे समाधान निकालने चाहिए, जो हमारे समाज पर पडऩे वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हों।

राष्ट्रीय प्रेस दिवस 2024 के अवसर पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) के एक कार्यक्रम में बोलते हुए, केंद्रीय मंत्री ने बदलते मीडिया परिदृश्य और भारत के विविध सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भ के बीच सेफ हार्बर प्रावधान पर फिर से विचार करने की आवश्यकता पर बल दिया।

केंद्रीय मंत्री ने उपस्थित लोगों से कहा, फेक न्यूज के प्रसार से मीडिया पर भरोसा कम होता है और लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा होता है।

**************************

Read this also :-

दुलकर सलमान की लकी भास्कर 28 नवंबर से नेटफ्लिक्स पर होगी स्ट्रीम

कार्तिक आर्यन की फिल्म वल्र्डवाइड 400 करोड़ी क्लब में शामिल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *