जो संभालेगा 3800 करोड़ का साम्राज्य
नई दिल्ली 10 Oct, (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी) : दिग्गज उद्योगपति और टाटा संस (Tata Sons) के मानद प्रमुख पद्म विभूषण रतन टाटा (Ratan Tata) का बुधवार रात को स्वर्गवास हो गया। वह 86 वर्ष के थे। उन्होंने मुंबई (Mumbai) के ब्रीच कैंडी अस्पताल (Candy Hospital) में अंतिम सांस ली। रतन टाटा (Ratan Tata) की अगर कोई संतान होती तो शायद यह सवाल कभी खड़ा नहीं होता कि उनका उत्तराधिकारी (successor) कौन होगा।
वहीं रतन टाटा (Ratan Tata) के जाने के बाद टाटा (Tata Group) के समूह की जिम्मेदारी किसके कंधे होगी उसमें कई नाम शामिल है। नोएल टाटा रतन टाटा (Ratan Tata) के सौतेले भाई सबसे आगे है। सिर्फ नोएल टाटा (noyal Tata) पर ही नही टाटा की नई पीढ़ी के कंधों पर टाटा समूह (Tata Group)की जिम्मेदारी होगी। टाटा की नई पीढ़ी में लिआ, माया और नेविल शामिल हैं – जो रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल नवल टाटा के बच्चे हैं। वे अन्य पेशेवरों की तरह कंपनी के माध्यम से आगे बढ़ते हुए, टाटा समूह के भीतर लगातार अपनी जगह बना रहे हैं।
लिआ टाटा समूह में बड़े पद पर कार्यरत
सबसे बड़ी लिआ टाटा ने स्पेन के मैड्रिड में आईई बिजनेस स्कूल (Business School) से मार्केटिंग (Marketing) में मास्टर डिग्री हासिल की है। वह 2006 में ताज होटल रिसॉर्ट्स एंड पैलेसेस में सहायक बिक्री प्रबंधक के रूप में टाटा समूह में शामिल हुईं और अब विभिन्न भूमिकाओं के माध्यम से प्रगति करते हुए द इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (IHCL) में उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करती हैं।
माया टाटा और नेविल भी उत्तराधिकारी की दौड़ में
छोटी बेटी माया टाटा ने समूह की प्रमुख वित्तीय सेवा कंपनी में एक विश्लेषक के रूप में टाटा कैपिटल में अपना करियर शुरू किया है। वहीं, उनके भाई नेविल टाटा ने ट्रेंट में अपनी पेशेवर यात्रा शुरू की, जिस खुदरा श्रृंखला के निर्माण में उनके पिता ने मदद की थी। नेविल की शादी मानसी किर्लोस्कर से हुई है, जो टोयोटा किर्लोस्कर समूह की उत्तराधिकारी हैं।
1991 में, जब उनके चाचा जेआरडी टाटा ने पद छोड़ दिया, तो उन्होंने समूह का नेतृत्व संभाला। यह समय भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण था, क्योंकि देश ने अपने अर्थव्यवस्था को विश्व के लिए खोलने और तेज तरक्की के युग की शुरुआत करने के लिए क्रांतिकारी सुधार शुरू किए थे। अपने शुरुआती कदमों में से एक में, रतन टाटा ने समूह की कुछ कंपनियों के प्रमुखों की शक्ति को नियंत्रित करने का प्रयास किया। उन्होंने सेवानिवृत्ति आयु लागू की, युवा लोगों को वरिष्ठ पदों पर पदोन्नत किया और कंपनियों पर नियंत्रण बढ़ाया।
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