Historical victory of Bharatiya Janata Party(BJP) in Haryana

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की जाति राजनीति पर करारा झटका

नई दिल्ली 08 Oct, (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी) । सभी एग्जिट पोल के पूर्वानुमानों को धता बताते हुए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हरियाणा में तीसरी बार ऐतिहासिक जीत दर्ज कर चुकी है। हरियाणा के विधानसभा चुनाव परिणाम ने एक स्पष्ट तस्वीर पेश कर दी है।

वहीं, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी राज्य में उनकी पार्टी के सत्ता में आने के दावे पेश कर रहे थे, उससे परिणाम बिल्कुल अलग और दावों की हकीकत से कोसों दूर हैं। यहां कांग्रेस बहुमत के आंकड़े से काफी पीछे रह गई।

हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नतीजों ने कई महत्वपूर्ण बातें सामने ला दी है, जिनमें एक बड़ा संदेश जाति की राजनीति और जाति जनगणना के एजेंडे को झटका भी है। जिसे चुनाव प्रचार के दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी बार-बार दोहराते रहे।

गांधी परिवार इस चुनाव प्रचार के दौरान राज्य में कांग्रेस के लिए समर्थन की “सुनामी” की बात कर रहा था, उन्हें लग रहा था कि जाति जनगणना की बात को बार-बार दोहराने से बड़ी संख्या में दलित मतदाताओं को लुभाने में पार्टी को मदद मिलेगी। लेकिन, जिस तरह के परिणाम आए, वह राहुल गांधी की जाति की राजनीति के लिए एक बड़ा झटका है।

पार्टी के घोषणापत्र और भाषणों में जाति जनगणना को प्राथमिकता के साथ और बार-बार उठाया गया, इसके जरिए राहुल गांधी सहित कांग्रेस नेताओं का लक्ष्य दलितों को प्रदेश में कांग्रेस की तरफ आकर्षित करना था। हरियाणा में यह आबादी का लगभग 21 प्रतिशत है। ऐसे में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वोटों पर पकड़ बनाने के लिए जाति सर्वेक्षण कराने का वादा किया था।

सबसे पुरानी पार्टी ने सत्ता में आने पर इस जाति जनगणना को लागू करने का वादा किया। वहीं, लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी राहुल गांधी लगातार देशव्यापी जातीय जनगणना की वकालत करते रहे।

हरियाणा में दलितों को कई उप-जातियों में वर्गीकृत किया गया है। जाटव सबसे बड़े समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो कुल अनुसूचित जाति (एससी) आबादी का लगभग 50 प्रतिशत है। दूसरा वाल्मिकी समुदाय है, जिसमें अनुसूचित जाति की आबादी लगभग 25-30 प्रतिशत है, जबकि तीसरा धनक, मुख्य रूप से शहरी निवासी, 10 प्रतिशत से कुछ अधिक है।

इन समुदायों के मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए कांग्रेस ने राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से सभी एससी आरक्षित सीटों पर 17 दलित उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। इसमें जाटव उम्मीदवारों के लिए 12 टिकट, वाल्मिकी के लिए दो और अन्य समूहों के लिए तीन टिकट शामिल हैं, जो इन जातियों के मतदाता आधार को मजबूत करने की पार्टी की रणनीति का संकेत देते हैं।

हालांकि, राजनीति के जानकार इस बात को मानते रहे कि यह धारणा किसी भी हाल में सही नहीं है कि दलित स्वाभाविक रूप से कांग्रेस की ओर आकर्षित होंगे। क्योंकि, हाल में हुए लोकसभा चुनावों के परिणास से भी यह साबित हो चुका है।

हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी द्वारा जाति जनगणना को एक प्रमुख एजेंडे के रूप में उठाने के बावजूद, जो नतीजे सामने आए, वह इस बात का प्रमाण हैं कि मतदाता इस एजेंडे से प्रभावित नहीं थे। इसलिए, चुनाव पर नजर रखने वालों की मानें तो कांग्रेस पार्टी की हरियाणा में हार ने साबित कर दिया कि जाति के आधार पर वोट की लामबंदी के व्यापक प्रयास किसी भी तरह से उनके पक्ष में नहीं आए, यह निश्चित रूप से जाति जनगणना के मुद्दे को बार-बार उठा रहे राहुल गांधी के प्रयास को झटका है।

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