JJP will now fight in Haryana together with Chandrashekhar Azad

सिरसा ,27 अगस्त (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर सियासत में गर्माहट बढ़ती जा रही है। वहीं इस बीच बड़ी खबर सामने आ रही है। जानकारी के अनुसार अब हरियाणा में जेजेपी और आजाद समाज पार्टी मिलकर हरियाणा का विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। हरियाणा विधानसभा चुनाव में जजपा 70 सीटों पर और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) 20 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।

जेजेपी ने चंद्रशेखर आजाद से हाथ मिला लिया है। हरियाणा में जाट-दलित समीकरण के साथ नया गठबंधन बना है। थोड़ी देर में दुष्यंत चौटाला और चंद्रशेखर आजाद गठबंधन का औपचारिक ऐलान करेंगे। सोमवार की रात जजपा के संस्थापक दुष्यंत चौटाला ने इसकी जानकारी खुद सोशल मीडिया प्लेटफार्म  पर दी थी। उन्होंने पोस्ट में लिखा था कि, किसान कमेरे की लड़ाई, हम लड़ते रहेंगे बिना आराम, ताऊ देवीलाल की नीतियां, विचारधारा में मान्यवर कांशीराम।

बता दें कि 5 साल पहले भाजपा ने जेजेपी के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई थी। लेकिन ये गठबंधन ज्यादा देर तक नहीं चल सका। बीजेपी और जेजेपी अलग-अलग हो गई थी। जिसके बाद से इस बार होने वाले चुनावों में लडऩे के लिए जेजेपी को साथ की जरूरत थी। जेजेपी ने 2019 में जब पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा तो 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। निश्चित रूप से यह हरियाणा में उसके लिए बहुत बड़ी कामयाबी थी। इसके पीछे दुष्यंत चौटाला को बड़ी वजह माना गया था। लेकिन अब 10 में से सात विधायक पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं और अब सिर्फ तीन विधायक ही उसके पास बचे हैं। इसके अलावा हरियाणा जेजेपी के अध्यक्ष रहे निशान सिंह सहित कई नेता पार्टी का साथ छोड़कर चले गए।

दलित मतदाताओं का समर्थन हासिल कर रहे चंद्रशेखर

चंद्रशेखर आजाद की पार्टी को मूल रूप से दलित मतदाताओं की समर्थक पार्टी माना जाता है। दुष्यंत चौटाला हरियाणा में सभी 36 बिरादरी की राजनीति करने की बात करते हैं। लेकिन जेजेपी इनेलो से ही निकली है और इसके मुखिया अजय चौटाला जाट समुदाय से आते हैं, इसलिए पिछले विधानसभा चुनाव में जाट मतदाताओं ने बहुत हद तक जेजेपी पर भरोसा जताया था।

हरियाणा की राजनीति में निश्चित रूप से जाट और दलित समुदाय राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हैं। जाट मतदाता जहां 22 से 25 प्रतिशत हैं, वहीं दलित मतदाता 21 प्रतिशत हैं।

हरियाणा की राजनीति में 30 से 35 विधानसभा सीटों पर जाट मतदाता असर रखते हैं। लेकिन किसान आंदोलन के दौरान दुष्यंत के बीजेपी के साथ न छोडऩे की वजह से जाट और किसान मतदाताओं में जेजेपी के लिए नाराजगी दिखाई दे रही है। हालांकि दुष्यंत ने इसके लिए माफी मांगकर किसान और जाट मतदाताओं की नाराजगी कम करने की कोशिश की है। उन्होंने साफ कहा है कि अब वह बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे।

**************************

Read this also :-

कंगना रनौत की इमरजेंसी का पहला गाना सिंहासन खाली करो जारी

राजपाल यादव की फिल्म पड़ गए पंगे का ट्रेलर आउट

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *