CBI will investigate the case of rape and murder of a female doctor

कलकत्ता High Court ने दिया आदेश

नई दिल्ली 13 Aug, (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी) – कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में महिला प्रशिक्षु डॉक्टर की दुष्कर्म और हत्या के मामले ने तूल पकड़ लिया है। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर और छात्रों के विरोध-प्रदर्शन के बीच इस मामले पर कलकत्ता हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जिसके बाद अब इस केस की जांच अब सीबीआई करेगी। मंगलवार को उच्च न्यायालय ने यह आदेश दिया।

अदालत ने कहा कि इस घटना में अस्पताल प्रशासन ने गंभीर लापरवाही की है और इस मामले की जांच अब सीबीआई को दी जाती है। इसके साथ ही अदालत ने अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल को लंबी छुट्टी पर भेज दिया है। इस वीभत्स हत्याकांड का पूरे देश में विरोध हो रहा है। यहां तक कि देश भर के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर विरोध जता रहे हैं और कई जगहों पर ओपीडी ठप पड़ी है। अदालत ने कहा कि अस्पताल प्रशासन ने इस मामले में ढिलाई बरती, जबकि उसे पता था कि क्या घटना हुई है। किस तरह डॉक्टर के शरीर पर गंभीर चोटों के और जख्मों के निशान हैं। अदालत ने कहा कि मृतका के परिजन ऐसी एजेंसी से जांच चाहते हैं, जिसमें कोई छेड़छाड़ की गुंजाइश न रहे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के केवी राजेंद्रन केस में दिए फैसले का जिक्र किया और कहा कि दुर्लभतम मामलों में अदालत भी केस ट्रांसफर करने की अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर सकती है। अदालत का यह फैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि सीएम ममता बनर्जी ने खुद कहा था कि पुलिस रविवार तक इस मामले की पूरी जांच करे और खुलासा हो।

यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो हम केस की जांच सीबीआई को ट्रांसफर कर देंगे। वहीं हाई कोर्ट ने रविवार के पहले ही यह फैसला दे दिया है। अदालत ने पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष को भी लताड़ा। बेंच ने कहा कि यह दिल दुखाने वाली बात है कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी वह ऐक्टिव नहीं थे। यहां तक कि उन्होंने हंगामे के बाद जब पद से इस्तीफा दिया तो उन्हें दूसरे कॉलेज में जिम्मेदारी मिल गई। कोर्ट ने कहा कि घोष को तुरंत छुट्टी देनी चाहिए और उन्हें काम से अलग रखना चाहिए। वह प्रभावशाली व्यक्ति हैं और जांच पर असर डाल सकते हैं।

राज्य सरकार की भी अदालत ने घोष को दूसरे अस्पताल में नियुक्ति देने पर खिंचाई की। अदालत ने कहा कि यह तो ध्यान रखना चाहिए था कि किन स्थितियों में इस्तीफा दिया गया है। अथॉरिटी ने यह भी नहीं सोचा कि कैसे एक जगह से इस्तीफा मंजूर होने से पहले ही दूसरी जगह पर नियुक्ति दे दी जाए। यही नहीं कोर्ट ने कहा कि घटना के बाद अस्पताल प्रशासन पीड़िता के परिजनों के साथ नहीं दिखा। अब इसमें वक्त गंवाने से कोई फायदा नहीं है। अन्यथा सबूतों से छेड़छाड़ की जा सकती है।

****************************

Read this also :-

कंगना रनौत ने नए पोस्टर के साथ फिल्म इमर्जेंसी के ट्रेलर रिलीज का किया ऐलान

सूर्या की कंगुवा का धमाकेदार ट्रेलर रिलीज

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *