States can create sub-categories in SCST for reservation

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

दिल्ली 01 Aug, (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी) : SC-ST श्रेणियों के भीतर सब-कैटेगरी की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने राज्यों को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों में सब-कैटेगरी की अनुमति दे दी है।

सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली 7 जजों की संविधान पीठ ने तय किया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणियों के लिए सब-कैटेगरी बनाई जा सकती हैं।

 7 जजों की संविधान पीठ में CJI डी वाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस बी आर गवई, विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा शामिल हैं।

CJI ने कहा कि 6 राय एकमत हैं, जबकि जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने असहमति जताई है। कोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जातियां एक समरूप समूह नहीं हैं और सरकार पीड़ित लोगों को 15% आरक्षण में अधिक महत्व देने के लिए उन्हें सब-कैटेगरी में बांट सकती है। अनुसूचित जाति के बीच अधिक भेदभाव है। SC ने चिन्नैया मामले में 2004 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें अनुसूचित जाति के उप-वर्गीकरण के खिलाफ फैसला सुनाया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SC के बीच जातियों का उप-वर्गीकरण उनके भेदभाव की डिग्री के आधार पर किया जाना चाहिए। राज्यों द्वारा सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में उनके प्रतिनिधित्व के अनुभवजन्य डेटा के संग्रह के माध्यम से किया जा सकता है। यह सरकारों की इच्छा पर आधारित नहीं हो सकता।

दरअसल, पंजाब सरकार ने अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों में से 50 फीसद ‘वाल्मिकी’ एवं ‘मजहबी सिख’ को देने का प्रविधान किया था। 2004 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। इस फैसले के खिलाफ पंजाब सरकार व अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। 2020 में SC की पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा था कि वंचित तक लाभ पहुंचाने के लिए यह जरूरी है। मामला दो पीठों के अलग-अलग फैसलों के बाद 7 जजों की पीठ को भेजा गया था।

**************************

Read this also :-

डेब्यू के लिए तैयार वरुण धवन की भतीजी अंजिनी

कियारा आडवाणी के बर्थडे पर गेम चेंजर से तोहफा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *