Opposition silent on ED's action

सोनिया और राहुल गांधी के खिलाफ चल रही प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की कार्रवाई के खिलाफ कांग्रेस अकेले लड़ रही है। लगभग सभी विपक्षी पार्टियों ने इस पर चुप्पी साधी है। यहां तक कि कांग्रेस की सहयोगी और यूपीए में शामिल पार्टियां भी इस पर कुछ नहीं बोल रही हैं। आमतौर पर केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई के खिलाफ विपक्षी पार्टियां स्टैंड लेती हैं। एक-दूसरे का साथ देती हैं।

लेकिन इस बार कोई कांग्रेस का साथ नहीं दे रहा है। इक्का-दुक्का नेताओं के छिटपुट बयान के अलावा कांग्रेस को कोई खास समर्थन नहीं मिला है। ध्यान रहे पिछले दिनों राजद नेता लालू प्रसाद और उनके परिवार के यहां सीबीआई का छापा पड़ा तो कांग्रेस ने इसका विरोध किया था और केंद्र सरकार पर आरोप लगाए थे। लेकिन राहुल गांधी से हो रही पूछताछ में लालू का परिवार चुप है। खुद लालू ने भी कोई बयान नहीं दिया है।
ध्यान रहे लगभग सभी विपक्षी पार्टियां केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई का सामना कर रही हैं। ममता बनर्जी से लेकर शरद पवार और हेमंत सोरेन से लेकर लालू प्रसाद और अखिलेश यादव से लेकर एमके स्टालिन तक सबकी परिवार के सदस्यों और पार्टी के नेताओं पर केंद्रीय एजेंसियों का शिकंजा है। तभी सवाल है कि क्या डर के मारे पार्टियां चुप हैं या कोई राजनीतिक कारण हैं?

संभव है कि इसी बहाने विपक्षी पार्टियों को लग रहा है कि कांग्रेस परेशान है तो वे अपनी राजनीति कर सकते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने भी विपक्षी पार्टियों को साथ लेने या इस पर साझा आंदोलन के लिए प्रयास नहीं किया। सारे विपक्षी नेता ममता बनर्जी की बुलाई बैठक में शामिल होने के लिए मंगलवार को ही दिल्ली पहुंच गए थे लेकिन किसी ने राहुल से मिल कर उनका समर्थन करने की जरूरत नहीं समझी।

राहुल से पूछताछ के तीसरे दिन अखिलेश यादव ने जरूर छायावादी अंदाज में एक टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने किसी का नाम नहीं लिखा लेकिन कहा कि विपक्ष को केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

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