भारतीय जनता पार्टी ने चार राज्यों में दांव लगाया था, जिसमें वह तीन-एक से जीती। यह बहुत बड़ी बात है। भाजपा ने राज्यसभा चुनाव में कर्नाटक और महाराष्ट्र में अतिरिक्त उम्मीदवार उतारा था और राजस्थान व हरियाणा में दो निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन दिया था।
इन चार में से एक कर्नाटक छोड़ कर बाकी तीन जगहों पर कांटे की लड़ाई थी। कर्नाटक में भी भाजपा के पास संख्या नहीं थी लेकिन यह तय था कि अगर कांग्रेस और जेडीएस दोनों मिल कर नहीं लड़ते हैं तो कम वोट पाकर भी भाजपा का उम्मीदवार जीत जाएगा।
अगर कांग्रेस और जेडीएस मिल जाते तो भाजपा के लिए कोई मौका नहीं था। इसके उलट बाकी तीन राज्यों में बेहद नजदीकी मुकाबला था।इन तीन में से भाजपा दो राज्यों में जीती और कांग्रेस को सिर्फ एक राज्य में कामयाबी मिली।
कांग्रेस को राजस्थान में कामयाबी मिली, जिसका श्रेय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जाता है। उन्होंने न सिर्फ सरकार का समर्थन कर रहे निर्दलीय और छोटी पार्टियों को साथ में रखा, बल्कि भाजपा की एक विधायक से भी क्रॉस वोटिंग करा ली।
राजस्थान की तरह महाराष्ट्र में भी शिव सेना के नेतृत्व वाली सरकार के पास जरूरी संख्या थी लेकिन वह सरकार का समर्थन कर रहे सारे विधायकों को एक नहीं रख पाई। हरियाणा में भी कांग्रेस के पास चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त संख्या थी पर तमाम ऐहतियात के बावजूद कांग्रेस के एक विधायक ने भाजपा को वोट दिया और दूसरे ने अपना वोट जान-बूझकर अवैध करा लिया।
कर्नाटक में कांग्रेस ने जान- बूझकर एक सीट भाजपा को जीतने दी क्योंकि उसे जेडीएस को सबक सिखाना था लेकिन हरियाणा और महाराष्ट्र में भाजपा ने अपने प्रबंधन से चुनाव जीता।
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