Fadnavis heavy on Uddhav-Pawar

उद्धव-पवार पर भारी फडऩवीस. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस ने अपने अपमान का बदला ले लिया है। उन्होंने राज्यसभा के चुनाव में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के साझा प्रयास को विफल करके भाजपा का तीसरा उम्मीदवार जिता लिया। इससे पहले उद्धव और पवार की वजह से फडऩवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के चार दिन में ही इस्तीफा देना पड़ा था।

तब से वे मौके की ताक में थे। इस बार जब फडऩवीस के कहने पर भाजपा ने तीसरा उम्मीदवार उतारा तो ऐसा लग रहा था कि इस बार भी उद्धव और पवार के सामने उनकी नहीं चलेगी। आखिर खुद शरद पवार ने समाजवादी पार्टी के नेताओं से बात की और उनके दो वोट अपने साथ किए और ओवैसी की पार्टी के दो वोट भी कांग्रेस के समर्थन में कराए गए। फिर भी शिव सेना के दूसरे उम्मीदवार संजय पवार चुनाव हार गए।
महाराष्ट्र में राज्यसभा की पांच सीटों पर पहली वरीयता के वोट से फैसला हो गया। भाजपा के दो और शिव सेना, एनसीपी व कांग्रेस के एक-एक उम्मीदवार जीत गए। असली लड़ाई छठी सीट के लिए थी, जिस पर शिव सेना के संजय पवार का मुकाबला भाजपा के धनंजय महाडिक से थे। फडऩवीस ने यह सुनिश्चित किया कि इसका फैसला पहली वरीयता के वोट से न हो। वे जानते थे कि दूसरी वरीयता के वोटों में वे जीत जाएंगे। इसके लिए उन्होंने सरकार को समर्थन दे रही छोटी पार्टियों के नौ विधायकों से क्रॉस वोटिंग कराई। मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के अपने 106 विधायक हैं और उसे सात अन्य विधायकों का समर्थन है। उन्हें राज ठाकरे की पार्टी के एक विधायक का समर्थन मिला और नौ अन्य विधायकों का समर्थन उन्होंने हासिल कर लिया। फडऩवीस तीसरी सीट जीतने के लिए इतने आश्वस्त थे कि उन्होंने पहले दोनोंउम्मीदवारों पीयूष गोयल और अनिल बोंडे को 48-48 वोट आवंटित कराए, जबकि एक सीट जीतने के लिए 41 वोट की ही जरूरत थी।

उनके तीसरे उम्मीदवार को पहली वरीयता के 27 वोट मिले और दूसरी वरीयता के वोट मिला कर साढ़े 41 से ज्यादा हो गया।

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