योग शिविर के लिए चुकाना होगा सर्विस टैक्स
नईदिल्ली,21 अपै्रल (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट से बाबा रामदेव की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब कोर्ट ने उनके योग शिविरों को सर्विस टैक्स देने को कहा है।
कोर्ट ने सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (सीईएसटीएसटी) के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को योग शिविरों के आयोजन के लिए प्रवेश शुल्क लेने के लिए सर्विस टैक्स का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी ठहराया था।
दरअसल, सीईएसटीएसटी की इलाहाबाद पीठ ने 5 अक्टूबर, 2023 को आदेश में कहा था कि पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की ओर से आयोजित योग शिविर किसी भी व्यक्ति से भागीदारी के लिए शुल्क लेता है, इसलिए ट्रस्ट द्वारा आयोजित योग शिविर सर्विस टैक्स के दायरे में आने चाहिए।
पीठ ने कहा था कि ट्रस्ट शिविरों में योग प्रशिक्षण के लिए दान के रूप में राशि लेता है, लेकिन असल में यह सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रवेश शुल्क होता है।
सीईएसटीएसटी ने कहा था, इन शिविरों में योग और मेडिटेशन की शिक्षा किसी एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि पूरे समूह को एक साथ दी जाती है। ट्रस्ट ने शिविर में प्रवेश शुल्क दान के रूप में एकत्र किया।
उन्होंने विभिन्न मूल्यवर्ग के प्रवेश टिकट जारी किए और टिकट के मूल्य के आधार पर अलग-अलग विशेषाधिकार दिए गए थे। ट्रस्ट जो शुल्क लेता है, वो स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा की श्रेणी में आता है, जिस पर सर्विस टैक्स लगता है।
सीईएसटीएसटी के फैसले के खिलाफ पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। कोर्ट में जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने पतंजलि की अपील को खारिज कर दिया।
पीठ ने फैसले में कहा कि सीईएसटीएसटी ने सही कहा है कि शुल्क के लिए शिविरों में योग एक सेवा है, हमें उस आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता, इसलिए अपील खारिज की जाती है।
सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क मेरठ रेंज के आयुक्त ने पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट से अक्टूबर, 2006 से मार्च, 2011 के दौरान लगाए गए ऐसे शिविरों के लिए लगभग 4.5 करोड़ रुपये अदा करने को कहा था।
इसमें जुर्माना और ब्याज भी शामिल है।ट्रस्ट ने दलील दी थी कि वह ऐसी सेवाएं प्रदान कर रहा है, जो बीमारियों के इलाज के लिए है और इन पर सर्विस टैक्स नहीं लगता।
बाबा रामदेव पतंजलि को लेकर भ्रामक विज्ञापन मामले में भी फंसे हुए हैं। इस मामले में वे कोर्ट में कई बार माफी मांग चुके हैं, जिन्हें कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अब उन्हें सार्वजनिक माफी मांगने का आदेश दिया गया है।
ये मामला सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने से जुड़ा है, जिस पर 23 अप्रैल को अगली सुनवाई होगी। एलोपैथी पर दिए बयानों को लेकर भी रामदेव विवादों में हैं।
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