नयी दिल्ली,06 जून (आरएनएस)। दृष्टिहीन भी आसानी पहचान सकेंगे सिक्के. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को सिक्कों की एक नयी श्रृंखला पेश की, जो दृष्टिहीनों के अनुकूल भी हैं। ये सिक्के 1 रुपये, 2 रुपये, 5 रुपये, 10 रुपये और 20 रुपये मूल्यवर्ग के हैं और इस पर आजादी के अमृत महोत्सव (एकेएएम) का डिजाइन बना है। ये विशेष रूप से जारी किए सिक्के नहीं है, बल्कि आम चलन में बने रहेंगे। मोदी ने वित्त मंत्रालय के आइकॉनिक सप्ताह समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘सिक्कों की ये नयी श्रृंखला लोगों को अमृत काल के लक्ष्य की याद दिलाएगी और लोगों को देश के विकास की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करेगी।’
इस मौके पर मोदी ने जन समर्थ पोर्टल की शुरुआत भी की, जो 12 सरकारी योजनाओं का क्रेडिट-लिंक्ड पोर्टल है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इनमें से प्रत्येक योजना को पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘इस पोर्टल से सहूलियत बढ़ेगी और नागरिकों को सरकारी कार्यक्रम का लाभ उठाने के लिए हर बार एक ही सवाल पूछना नहीं पड़ेगा।’
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दुनिया के एक बड़े हिस्से को भारत से समस्याओं के समाधान की उम्मीद है और यह इसलिए संभव हो पा रहा है, क्योंकि पिछले आठ वर्षों में सरकार ने सामान्य भारतीय के विवेक पर भरोसा किया और जनता को विकास में ईमानदार भागीदार के रूप में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, ”हमारे युवा अपनी मनचाही कंपनी आसानी से खोल पाएं, वे अपने उद्यम आसानी से स्थापित कर पाएं, उन्हें आसानी से चला पाएं, इसके लिए 30 हजार से ज्यादा स्वीकृति संबंधी खामियों को कम करके, डेढ़ हजार से ज्यादा कानूनों को समाप्त करके, कंपनीज एक्ट के अनेक प्रावधानों को अवैध मानना बंद करके यह सुनिश्चित किया गया है कि भारत की कंपनियां न सिर्फ आगे बढ़ें, बल्कि नयी ऊंचाई प्राप्त करें। ज्ञात हो कि वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय छह से 11 जून तक ‘आजादी का अमृत महोत्सव के तहत ‘अनुप्रतीकात्मक सप्ताह आयोजित कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के बैंकों और मुद्रा को अंतरराष्ट्रीय व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने वित्तीय संस्थानों से आह्वान किया कि वे अच्छी वित्तीय और कॉरपोरेट प्रशासन प्रथाओं को लगातार प्रोत्साहित करें। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारे घरेलू बैंकों, मुद्रा को अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला और व्यापार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कैसे बनाया जाए, इस पर ध्यान देना जरूरी है।’
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