महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस ने अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगाई है। शुक्रवार को नाम वापसी के आखिरी दिन उन्होंने भाजपा के तीसरे उम्मीदवार धनंजय महाडिक का नामांकन वापस नहीं कराया। सो, अब महाराष्ट्र में राज्यसभा का चुनाव होगा। दो दशक के बाद पहली बार महाराष्ट्र में राज्यसभा का चुनाव होगा। पिछले दो दशक से ज्यादा समय से राज्य में चुनाव की नौबत नहीं आई थी।
ऐसा लग रहा है कि फडऩवीस मुख्यमंत्री बनने के बाद चार-पांच दिन में ही इस्तीफा देने का दर्द भूले नहीं हैं। दूसरे उनको यह दिखाना है कि वे महाराष्ट्र की राजनीति के सबसे बड़े खिलाड़ी बन गए हैं। लेकिन उनका मुकाबला उद्धव ठाकरे और शरद पवार की जोड़ी से है। महाराष्ट्र के जानकार नेता मान रहे हैं कि अगर पवार ने साथ दिया तो छठी सीट आराम से शिव सेना जीतेगी।
राज्यसभा की पांच सीटों पर कोई लड़ाई नहीं है। भाजपा के पीयूष गोयल और अनिल बोंडे चुनाव जीत जाएंगे और दूसरी ओर शिव सेना के संजय राउत, एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल और कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी का जीतना भी तय है। लेकिन छठी सीट पर शिव सेना के संजय पवार का मुकाबला भाजपा के धनंजय महाडिक से होगा। एक सीट जीतने के लिए 41 वोट की जरूरत है।
इस लिहाज से दो सीट जीतने के बाद भाजपा के पास 31 वोट बचते हैं और उसे 10 वोट का इंतजाम करना होगा।। उसे राज ठाकरे की पार्टी का एक वोट मिल जाएगा तब भी नौ वोट चाहिए होंगे। दूसरी ओर महा विकास अघाड़ी सरकार के पास 169 वोट हैं। तीन सीट जीतने के बाद उनके पास 46 वोट बचते हैं। इसके अलावा एमआईएम के दो और सीपीआई का एक वोट है।
चूंकि उद्धव सरकार का अभी ढाई साल का कार्यकाल बचा है इसलिए किसी छोटी पार्टी के उनका साथ छोडऩे की संभावना कम है। तभी ऐसा लग रहा है कि भाजपा ने बेवजह जोखिम लिया है।
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