Why did Vivek Tankha get a chance to go to Rajya Sabha again?

कांग्रेस में अहमद पटेल की जगह लेने वाले नेता की तलाश पूरी नहीं हुई है। पार्टी अलग अलग नेताओं को आजमा रही है लेकिन किसी एक पर भरोसा नहीं बन रहा है। कोई एक नेता ऐसा नहीं दिख रहा है, जिसका निजी संबंधसंपर्क देश की सभी पार्टियों के बड़े नेताओं से हो।

कांग्रेस की ओर से या कांग्रेस के प्रतिनिधि के तौर पर तो किसी पार्टी से कोई भी बात कर सकता है। लेकिन उस बातचीत का वांछित नतीजा नहीं निकलेगा। अगर नेता का निजी संबंध विपक्षी पार्टियों के नेताओं और प्रादेशिक क्षत्रपों से हो तो बातचीत बेहतर होती है। इसलिए कांग्रेस में ऐसा नेता खोजा जा रहा है, जो कभी भी फोन उठा कर किसी नेता से बात कर सके और वह नेता उसका सम्मान करे।

कांग्रेस नेताओं का एक धड़ा ऐसा है, जो इस काम के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा को सबसे उपयुक्त मान रहा है। लेकिन परिवार के अंदर के मामले को समझते हुए कोई इसमें हाथ नहीं डालना चाहता है। ध्यान रहे कांग्रेस की एक बैठक में प्रमोद कृष्णम ने प्रियंका को अध्यक्ष बनाने की मांग की थी तो खुद प्रियंका के इशारे पर दीपेंद्र हुड्डा ने उनको चुप कराया और मल्लिकार्जुन खडग़े ने भी उनको इस तरह की बातें नहीं करने की हिदायत दी। तभी सवाल है कि अगर प्रियंका नहीं करेंगी तो कौन करेगा?

कायदे से यह काम कांग्रेस के संगठन महामंत्री को करना चाहिए लेकिन सबको पता है कि केसी वेणुगोपाल को देश के ज्यादातर राज्यों में कांग्रेस के ही नेता नहीं जानते हैं तो वे दूसरी पार्टी के नेताओं से क्या बात करेंगे। कमलनाथ यह काम कर सकते थे लेकिन उन्होंने अपने को पूरी तरह से मध्य प्रदेश में सीमित किया है और अशोक गहलोत भी राजस्थान से बाहर नहीं निकलना चाहते हैं। सो, ले-देकर कांग्रेस के पास दो नेताओं का विकल्प बचता है।

या तो पी चिदंबरम सभी विपक्षी नेताओं से बात करेंगे या दिग्विजय सिंह। तभी कांग्रेस अध्यक्ष ने हाल में जो तीन कमेटियां बनाई हैं उनमें से एक के अध्यक्ष चिदंबरम हैं और दूसरे के दिग्विजय।

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