लखनऊ 18 Feb, (एजेंसी): इस वर्ष होने जा रहे लोकसभा चुनाव से पहले मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) को एक और झटका देते हुए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व सांसद सलीम शेरवानी ने पार्टी में मुसलमानों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए रविवार को पद से इस्तीफा दे दिया। शेरवानी ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को भेजे अपने इस्तीफे में कहा, मैं पिछले कुछ समय से लगातार आपसे मुसलमानों की स्थिति पर चर्चा कर रहा हूं और मैंने हमेशा आपको यह बताने की कोशिश की है कि मुसलमान खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और लगातार पार्टी में अपना विश्वास खो रहे हैं। उन्होंने दावा किया है कि मुसलमानों और पार्टी के बीच दूरियां लगातार बढ़ती जा रही हैं और वे एक सच्चे ‘रहनुमा’ (नेता) की तलाश में हैं।
उन्हेांने कहा, मैंने पहले भी आपको यह भी बताने की कोशिश की कि पार्टी को उनके समर्थन को कम नहीं आंकना चाहिए। मुसलमानों के बीच यह भावना बढ़ रही है कि धर्मनिरपेक्ष मोर्चे में कोई भी उनके वैध मुद्दों को उठाने के लिए तैयार नहीं है। पार्टी की परंपरा के मुताबिक, मैंने आपसे बार-बार मुस्लिम समुदाय के लिए राज्यसभा सीट के लिए अनुरोध किया था (भले ही आप मेरे नाम पर विचार न करें) लेकिन उम्मीदवारों में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं था । जिस तरह से आपने राज्यसभा के टिकट बांटे हैं उससे पता चलता है कि आप खुद पिछड़े ,दलित, अल्पसंख्यक (पीडीए) को कोई महत्व नहीं देते हैं। जिससे सवाल उठता है कि आप भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से कैसे अलग हैं?
उन्होंने कहा है कि मजबूत विपक्षी गठबंधन बनाने की कोशिशें बेकार साबित हो रही हैं और कोई भी इसे लेकर गंभीर नहीं दिख रहा है। ऐसा लगता है कि विपक्ष को सत्तारूढ़ दल की गलत नीतियों से लड़ने के बजाय एक-दूसरे से लड़ने में अधिक दिलचस्पी है। धर्मनिरपेक्षता दिखावटी बन गई है। शेरवानी ने कहा कि भारत में, खासकर उत्तर प्रदेश में मुसलमानों ने समानता, सम्मान और सुरक्षा के साथ जीवन जीने के अपने अधिकार के अलावा कभी कुछ नहीं मांगा, लेकिन पार्टी को यह मांग बहुत बड़ी लगती है।
उन्होंने कहा, “पार्टी के पास हमारी मांग का कोई जवाब नहीं है, इसलिए मुझे लगता है कि सपा में अपनी मौजूदा स्थिति से मैं अपने समुदाय की स्थिति में कोई बदलाव नहीं ला सकता। ऐसी स्थिति में, मैं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से अपना इस्तीफा दे रहा हूं। मैं अगले कुछ सप्ताह में अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में फैसला करूंगा।” गौरतलब है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद एक सप्ताह से भी कम समय में पार्टी पद से इस्तीफा देने वाले शेरवानी दूसरे बड़े नेता है।अपने इस्तीफे में मौर्य ने भेदभाव का आरोप लगाया, लेकिन कहा था कि वह पार्टी को मजबूत करना जारी रखेंगे।
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