Nitish Kumar passed the assembly for the 9th time, mathematics kept getting made and spoiled in the house like this

Patna 12 Feb, (एजेंसी) /- मुख्य विपक्षी राजद के तीन विधायकों की मदद से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आसानी से विश्वास मत हासिल कर लिया। विधायक नीलम देवी, चेतन आनंद और प्रहलाद यादव के पाला बदलते ही राजग के नाराज कहे जाने वाले करीब आधे दर्जन विधायक नरम पर गए।

यह अहसास होते ही कि उनके बिना भी सरकार विश्वास मत हासिल कर लेगी, इन विधायकों ने धीरे धीरे सदन का रूख किया। फिर भी जदयू विधायक दिलीप राय मतदान में शामिल नहीं हुए।

विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के समय सदन में शांति पसरी हुई थी। विपक्ष का मन मजबूत था। इधर सत्तारूढ़ दल के सदस्य प्रवेश द्वार की ओर देख रहे थे। अचानक सत्तापक्ष के सदस्य मेेज थपथपाने लगे। उत्साही भाजपा सदस्यों ने जय श्रीराम का नारा लगा दिया।

कुछ ही क्षण में राजद विधायक नीलम देवी और चेतन आंनद का प्रवेश हुआ। विपक्ष में सन्नाटा पसर गया। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की यह आपत्ति रद कर दी गई कि सदस्यों को अपने निर्धारित स्थान पर ही बैठना चाहिए। एक बार फिर हलचल हुई। पता चला कि राजद के प्रहलाद यादव भी आ गए हैं।

इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के प्रस्ताव पर मतदान हुआ। 125 वोट इसके पक्ष में पड़ा। विपक्ष में पड़े वोटों की गिनती 112 रही। आसन पर बैठे जदयू विधायक महेश्वर हजारी ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। यानी पांच विधायक गायब थे।

स्पीकर हटे तो गया ये संदेश

अध्यक्ष के हटने के साथ ही यह संदेश भी चला गया कि अनुपस्थित पांच विधायक सदन में आएं न आएं, सरकार की सेहत पर असर नहीं पड़ेगा। यह सूचना बाहर गई। विधायक अंदर आने लगे।

जदयू के डॉ. संजीव और भाजपा मिश्रीलाल यादव, रश्मि वर्मा और भागीरथी देवी का सदन में प्रवेश हो गया। जदयू विधायक दिलीप राय अंत तक नहीं आए। इनके आने के बाद विश्वासत मत के प्रस्ताव के पक्ष में वोटों की संख्या 129 हो गई। हालांकि, अंतिम तौर पर जो संख्या सामने आई वह 130 वोट मिलने की थी।

तीन विधायकों से बिगड़ा खेल

राजद जिस खेल का दावा कर रहा था, उसकी रणनीति सटीक थी। राजग के गायब विधायक प्रतीक्षा कर रहे थे कि उनके नहीं रहने से विधानसभा अध्यक्ष के विरूद्ध प्रस्ताव का क्या हश्र होता है।

अगर ये तीन विधायक प्रस्ताव के विरूद्ध मतदान करते तो विश्वास मत में पड़े वोटों की संख्या 122 हो जाती। वैसी स्थिति में राजग के पांच विधायकों के अलावा इस पक्ष के दो-तीन विधायक पाला बदलते तो सरकार बहुमत हासिल नहीं कर सकती थी। राजद के इन विधायकों ने दल की रणनीति पर पानी फेर दिया।

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