New twist in Araria professor kidnapping case Police told High Court - Professor's brother's involvement in kidnapping

*पेश किए हाईकोर्ट के समक्ष साक्ष्य*

*भाई के बेटे और दामाद को भी बनाया गया है अभियुक्त*

*अगली सुनवाई 9 फरवरी को, एसडीपीओ अररिया को भी उपस्थित रहने का आदेश*

पटना, 03 फरवरी (एजेंसी)।  पटना हाईकोर्ट में बिहार के अररिया जिले के प्रोफेसर विपिन किशोर मिश्रा के अपहरण मामले में नया मोड़ आ गया है।  डेढ़ साल की इंवेस्टिगेशन  के बाद पुलिस ने हाईकोर्ट को बताया कि बिहार के अररिया जिले के प्रोफेसर विपिन किशोर मिश्रा के अपहरण मामले में उनके भाई भुवन किशोर मिश्रा, उनके बेटों और दामाद की बराबर संलिप्तता है। पुलिस ने इस बाबत कई महत्वपूर्ण साक्ष्य भी हाईकोर्ट के समक्ष पेश किए हैं। पुलिस ने विपिन किशोर मिश्रा के अपहरण मामले में उनके भाई भुवन किशोर मिश्रा, भाई के बेटों प्रकाश, राकेश, राजीव, बबलू, दीपक और दामाद अर्जुन आचार्य को अभियुक्त बनाया है।

इस मामले में अगली सुनवाई 9 फरवरी को होगी। हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई में एसआईटी टीमों समेत एसडीपीओ अररिया को अदालत  में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का आदेश भी दिया है।हाईकोर्ट ने एसआईटी का किया था गठन, उसने सौंपी ये रिपोर्ट विपिन किशोर मिश्रा अपहरण मामले में पटना हाईकोर्ट ने कड़ा रुख़ अपनाते हुए दो एसआईटी टीमों का गठन किया था। एसआईटी की दोनों टीमें पिछले कई दिनों से लगातार प्रोफेसर के अपहरण की गुत्थी को सुलझाने की कोशिश में जुटी थी। पुलिस ने इस मामले में एक युवक नीतीश यादव को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा। नीतीश से पूछताछ और इस छानबीन में एसआईटी के हाथ कई अहम सुराग लगे। जिसे एसआईटी हाईकोर्ट में पेश कर चुकी है।

एसआईअी ने हाईकोर्ट में सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा कि- “प्रोफ़ेशर विपिन किशोर मिश्रा का अपहरण एक सोची समझी साज़िश थी, जो उनके ख़ुद के भाई भुवन मिश्रा और भाई के बेटों और दामाद द्वारा रची गई। हमारी टीम पहले ही सभी टेक्निकल और नॉन टेक्निकल साक्ष्य अदालत के सामने पेश कर चुकी है। इंवेस्टिगेशन के दौरान मिले साक्ष्यों के मुताबिक विपिन मिश्रा का अपहरण पैसों की लेन देन में उनकी हिस्सेदारी को खत्म करने के उद्देश्य से किया गया”।

एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि- “सीकेएम लॉ कॉलेज, अररिया जो कि विपिन किशोर मिश्रा के पिता के नाम पर है और भुवन किशोर के द्वारा स्थापित किया गया था, वो इनकी पैतृक संपत्ति थी लेकिन भुवन मिश्रा ने धीरे- धीरे सबको इस संपत्ति से दरकिनार कर सारी सत्ता अपने और अपने बेटों के हाथ ले ली और अपनी मनमानी करने लगे। विपिन किशोर मिश्रा इकलौते ऐसे व्यक्ति बचे थे जिनका कॉलेज की संपत्ति में बराबर का शेयर था और वो बार बार अपने अधिकार की मांग कर रहे थे और कॉलेज के वित्तीय लेनदेन में अपना वाजिब हक चाहते थे।

इसी बात से उनके और अभियुक्तों के बीच कई बार कहासुनी भी हुई थी। विपिन मिश्रा बार-बार अपना हक मांग रहे थे। यही वजह रही कि भुवन ने अपने बेटों के साथ मिलकर अपने भाई विपिन मिश्रा को रास्ते से हटाने का फ़ुल प्रूफ प्लान बनाया।बता दें कि इस संबंध में पुलिस ने कई अहम साक्ष्य भी कोर्ट में पेश किए हैं और अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्रोफेसर का शरीर नहीं मिल पा रहा क्योंकि अभियुक्त जांच में सहयोग नहीं कर रहे है।

यही वजह है कि पुलिस अभियुक्तों का पॉलीग्राफ टेस्ट कराना चाहती है लेकिन आरोपी ये टेस्ट कराने को तैयार नहीं हैं।  हालांकि, पुलिस के इस महत्वपूर्ण एक्शन के बाद अब पटना हाईकोर्ट ने अररिया जिला न्यायालय समेत इस मामले की जांच कर रही टीम को निर्देश दिया है कि वो जल्द से जल्द आरोपियों की सजा सुनिश्चित करे।

24 सितंबर 2022 को सीकेएम लॉ कॉलेज के प्रोफेसर विपिन किशोर मिश्रा का अपहरण उस वक्त हुआ था जब वे शाम में कॉलेज से हाजिरी बनाने के बाद निकले थे। बता दें कि विपिन मिश्रा सुपौल जिला के बीरपुर निवासी थे। उनके अपहरण के बाद 25 सितंबर को उनकी पत्नी स्वर्गीय प्रेमलता मिश्रा ने बीरपुर से आकर अररिया थाना में एफआईआर दर्ज करायी थी।

प्रोफेसर के अपहरण के 4  महीने बाद ही इस सदमें से उनकी पत्नी की भी जान चली गई। इस मामले में पटना हाईकोर्ट में प्रोफेसर विपिन मिश्रा की बेटी अंजलि के वकील संजीव कुमार ने याचिका दायर की थी, जिसपर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने एसआईटी टीमों का गठन किया।

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