Divorce can be sought if cruelty is proved Allahabad High Court

प्रयागराज 29 Dec, (एजेंसी) : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उस पति की याचिका खारिज कर दी, जिसने अलग रह रही पत्नी के कहने पर पारिवारिक अदालत द्वारा अपनी शादी को तोडऩे को इस आधार पर चुनौती दी थी कि एक बार क्रूरता पाए जाने पर तलाक लेने की कार्रवाई का कारण बनता है। इसके अलावा, अदालत ने कहा कि क्रूरता के मामलों में, अदालत को वैवाहिक संबंध बहाल करने का आदेश पारित करने से पहले अन्य परिस्थितियों पर भी गौर करना चाहिए।

न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति शिव शंकर प्रसाद की खंडपीठ ने हेमसिंह उर्फ टिंचू द्वारा दायर पहली अपील को खारिज करते हुए कहा, एक बार जब क्रूरता साबित हो जाती है, तो तलाक लेने की कार्रवाई का कारण बनता है। उसके बाद पार्टियां अपना आचरण कैसा रखेंगी, यह एक प्रासंगिक फैक्टर बना रह सकता है। फिर भी, कानून का कोई नियम उत्पन्न नहीं हो सकता है जो अदालत को अन्य उपस्थित परिस्थितियों को देखे बिना, पक्षों के बीच वैवाहिक संबंध बहाल करने के लिए आदेश पारित करने का निर्देश दे सकता है।

अपीलकर्ता पति हेमसिंह ने प्रधान न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय इटावा के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसने उसकी पत्नी के कहने पर उसकी शादी को समाप्त कर दिया था। अदालत ने पाया कि प्रतिवादी पत्नी ने क्रूरता के आधार पर विवाह विच्छेद की मांग की थी। अदालत ने अपने फैसले में माना कि क्रूरता का कृत्य स्थापित हुआ और पति द्वारा दायर पहली अपील को खारिज कर दिया।

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