Shock to Muslim side Supreme Court refuses to stop Mathura Eidgah survey, petition of Mathura Shahi Eidgah Committee rejected

नई दिल्ली 16 Dec, (एजेंसी): उच्चतम न्यायालय ने मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह मस्जिद परिसर सर्वेक्षण का इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर शुक्रवार को रोक लगाने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 14 दिसंबर के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। पीठ के समक्ष मस्जिद पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हुए कहा कि अदालत ने पहले कहा था कि मामले में सुनवाई की जरूरत है। इस मामले में हमसे लिखित दलीलें दाखिल करने को भी कहा गया था।

उन्होंने कहा, लेकिन अब उच्च न्यायालय कुछ आवेदनों पर विचार कर रहा है, जिनके दूरगामी परिणाम होंगे। इस पर पीठ ने कहा, इस स्तर पर हम कुछ भी नहीं रोकेंगे। यदि कोई प्रतिकूल आदेश है तो आप यहां आ सकते हैं। अहमदी ने कहा कि गुरुवार को एक आदेश पारित किया गया, जिसमें आयुक्त को शाही ईदगाह मस्जिद का निरीक्षण करने और इसके लिए आयोग नियुक्त करने का निर्देश दिया गया था। उन्होंने कहा, यह तब हो रहा है जब शीर्ष अदालत इस मामले में अधिकार क्षेत्र का फैसला कर रही है।

पीठ ने अहमदी से उच्च न्यायालय को यह बताने को कहा कि वह (शीर्ष अदालत) नौ जनवरी को मामले की सुनवाई करने वाली है। इस पर अहमदी ने दलील देते हुए कहा कि उच्च न्यायालय सुनवाई नहीं कर रहा है। शीर्ष अदालत ने हालांकि,कहा कि उसके के समक्ष एकमात्र अधिकार क्षेत्र का स्थानांतरण का मामला है। इस तरह मामला अब उसके समक्ष योग्यता के आधार पर नहीं है। पीठ ने कहा, यदि याचिकाकर्ता को कोई शिकायत है तो वह कानून के अनुसार चुनौती दायर कर सकता है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शाही ईदगाह परिसर का अदालत की निगरानी में अधिवक्ता आयुक्तों की तीन सदस्यीय टीम द्वारा प्राथमिक सर्वेक्षण की अनुमति दी थी। सर्वेक्षण किस तरीके से किया जाएगा, इसके बारे में अदालत 18 दिसंबर को फिर सुनवाई करेगी। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की पीठ ने कहा था कि वह आयुक्त की नियुक्ति और सर्वेक्षण के तौर-तरीकों पर सोमवार को फैसला करेगी।

उच्च न्यायालय ने हरि शंकर जैन और अन्य के माध्यम से देवता (भगवान श्री कृष्ण विराजमान) की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया था। याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट औरंगजेब ने भगवान कृष्ण के जन्मस्थान के एक हिस्से को ध्वस्त करने के बाद किया था। याचिकाकर्ताओं ने पूरी 13.37 एकड़ भूमि पर स्वामित्व का दावा किया है, जिस पर फिलहाल मस्जिद की संरचनाएं स्थित हैं। उन्होंने शाही ईदगाह मस्जिद समिति और श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के बीच 1968 के समझौते को भी चुनौती दी है, जिसने मस्जिद को उस भूमि का उपयोग करने की अनुमति दी थी जिस पर वह स्थित थी।

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