नई दिल्ली , 07 अक्टूबर (एजेंसी)। श्वेत वस्त्रधारी महिलाएं और पुरुष भारतीय नौसेना के ‘शिप फर्स्ट’ दृष्टिकोण के केंद्र में हैं और निकट भविष्य में भी इसकी सबसे बड़ी संपत्ति बने रहेंगे। अपने पेशेवर और व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देने के लिए, भारतीय नौसेना मानती है कि एक चुस्त, अनुकूली और उन्नत मानव संसाधन प्रबंधन अनिवार्य है। उस संबंध में, भारतीय नौसेना ने विभिन्न पदोन्नति बोर्डों के लिए ‘360 डिग्री मूल्यांकन तंत्र’ की एक नवीन परिवर्तनकारी पहल को संस्थागत बनाया है।
वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा आवधिक गोपनीय रिपोर्टों के वर्तमान मूल्यांकन तंत्र में ‘टॉप-डाउन’ दृष्टिकोण की अंतर्निहित सीमा है, क्योंकि यह अधीनस्थों पर किसी नेता के प्रभाव को पूरा नहीं करता है या उसकी मात्रा निर्धारित नहीं करता है। भारतीय नौसेना के ‘360 डिग्री मूल्यांकन तंत्र’ का उद्देश्य पदोन्नति के लिए विचार किए जा रहे प्रत्येक अधिकारी के लिए उपयुक्त रूप से पहचाने गए साथियों और अधीनस्थों से बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण शामिल करके इस कमी को दूर करना है।
सर्वेक्षण में प्रश्नों का एक स्पेक्ट्रम शामिल है, जिसमें पेशेवर ज्ञान, नेतृत्व गुण, युद्ध/संकट में उपयुक्तता और उच्च रैंक प्राप्त करने की क्षमता जैसे पहलू शामिल हैं। इस प्रकार प्राप्त इनपुट को एक ध्वज अधिकारी की अध्यक्षता में नामित अधिकारियों के बोर्ड द्वारा स्वतंत्र विश्लेषण के लिए उपयुक्त रूप से परिमाणित किया जाता है। इसे व्यवहार परिवर्तन और सुधार लाने के लिए अधिकारियों को फीडबैक के रूप में भी प्रदान किया जाएगा। इसी तरह की मूल्यांकन प्रणालियाँ विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शिक्षण संगठनों में प्रचलित हैं।
भारतीय नौसेना ऐसी ‘सर्वोत्तम प्रथाओं’ को अपनाने में गर्व महसूस करती है और यह पहल ‘लड़ाकू तैयार, विश्वसनीय, एकजुट और भविष्य प्रतिरोधी बल’ बने रहने की दिशा में अन्य प्रयासों की निरंतरता में है।
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