60 page synopsis against the five page order of the High Court, Supreme Court imposed a fine of Rs 25 thousand

नई दिल्ली ,30 सितंबर (एजेंसी)।  सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पाँच पन्ने के आदेश के खिलाफ 60 पन्ने से अधिक का एक बड़ा सिनॉप्सिस दाखिल करने की अनुमति मांगने वाले एक वादी पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की पीठ ने याचिकाकर्ता को धर्मार्थ कार्य करने वाली किसी भी संस्था को दान के माध्यम से 25 हजार रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया।

याचिकाकर्ता ने अग्रिम जमानत खारिज करने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक आवेदन दायर किया, जिसमें एक लंबी सिनॉप्सिस और तारीखों की सूची दाखिल करने की अनुमति मांगी गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 60 पन्ने से अधिक का सिनॉप्सिस मामले के तथ्यों के लिए अनावश्यक था, जब हाई कोर्ट का आदेश केवल पाँच पन्ने का था।

अदालत ने आदेश दिया, इसलिए, हम आवेदन को अस्वीकार करते हैं और ऐसा करते समय, हम याचिकाकर्ता को धर्मार्थ कार्य करने वाली किसी भी संस्था को दान के माध्यम से 25 हजार रुपये का भुगतान करने का निर्देश देते हैं। सुनवाई की अगली तारीख से पहले एक रसीद पेश की जाए।

इससे पहले अगस्त में इसी पीठ ने इस बात पर जोर दिया था कि शीर्ष अदालत के समक्ष दायर याचिकाओं में बड़े सिनॉप्सिस से बचा जाना चाहिए। पीठ की यह टिप्पणी एक अन्य मामले में थी जिसमें हाई कोर्ट के छह पन्ने के एक विवादित आदेश के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका में 27 पृष्ठ थे और 60 से अधिक पन्नों का सिनॉप्सिस था।

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