MP Vikramjit Sahni will raise the issue of MEP on Basmati rice after meeting Union Minister Piyush Goyal.

नई दिल्ली ,14 सितंबर (एजेंसी)। राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात कर बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को तर्कसंगत बनाने में उनके हस्तक्षेप का आह्वान करने हेतु पंजाब के संसद सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। मालूम हो कि बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य केंद्र सरकार द्वारा 1200 डॉलर तय किया गया है, जिससे भारत से निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

आज साहनी ने बासमती चावल निर्यातक संघ के पदाधिकारियों के साथ इस मामले को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मुख्यमंत्री पंजाब भगवंत सिंह मान के समक्ष अमृतसर में एक औद्योगिक संवाद बैठक सरकार सनातन मिलनी में इस मुद्दे को उठाया ।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा सांसद विक्रम सिंह साहनी को इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास करने हेतु एक प्रतिनिधिमंडल लेकर मंत्री गोयल से मिलेंने के लिए अधिकृत किया की ।

वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री भी अपनी ओर से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को चावल निर्यात मानदंडों में छूट के लिए एक आधिकारिक पत्र लिखेंगे।
साहनी के ने बताया कि बासमती चावल पर केंद्र सरकार के न्यूनतम निर्यात मूल्य के फैसले के संबंध में पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन, जो भारत में बासमती चावल व्यापार के लिए अग्रणी संघ है, उनके द्वारा उन्हें एक अनुरोध प्राप्त हुआ था।

साहनी ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को एक लिखित संचार में कहा की कि वर्ष 2022-23 के लिए भारत में बासमती चावल का कुल उत्पादन 6.00 मिलियन टन है और वहीं गैर-बासमती चावल का कुल उत्पादन 135.54 मिलियन टन है। गैर-बासमती चावल के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं है, जिसके तहत प्रति टन 300 अमेरिकी डॉलर की किस्म को 20त्न निर्यात शुल्क के साथ निर्यात करने की अनुमति है। जबकि 1509 बासमती चावल, जो चावल की अधिक कीमत वाली किस्म है, की अनुमति नहीं है।

यदि चावल की कम कीमत वाली किस्म भारत से बाहर चली जाएगी और ऊंची कीमत प्रतिबंधित हो जाएगी, तो कीमतों को नियंत्रित करने का एजेंडा विफल हो जाएगा, साहनी ने कहा।

साहनी ने बताया कि बासमती चावल की खरीद भारत सरकार द्वारा पीडीएस प्रणाली के तहत नहीं की जाती है और चूंकि देश की केवल 2-3प्रतिशत आबादी ही इस उच्च कीमत वाली वस्तु का उपभोग करती है, इसलिए यह किसी भी तरह से देश में खुदरा खाद्य महंगाई पर प्रभाव नहीं डालता है।

साहनी ने कहा कि इस फैसले से हमारे देश के बासमती किसानों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। बासमती चावल की लगभग 40 किस्में स्ष्ठ850 से स्ष्ठ1600 प्रति टन तक हैं। बासमती चावल की निचली किस्मों का निर्यात बाजार में 70त्न योगदान है। भारत सरकार द्वारा लगाया गया यह एमईपी किसानों की आय पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा क्योंकि एमईपी पर निर्णय के कारण कीमतें गिर जाएंगी।

सांसद साहनी ने आगे कहा कि 1200 अमेरिकी डॉलर पर एमईपी लगाने का निर्णय निर्यात की औसत कीमत से लगभग 350 अमेरिकी डॉलर अधिक है। भारतीय निर्यात लगभग 70त्न $850 के मूल्य वर्ग में है, जबकि $1200 – 1700 के बीच निर्यात का उच्च मूल्य भारत से निर्यात का लगभग 25-30त्न है।

इस फैसले से हमारे 70त्न बासमती चावल निर्यात पर असर पड़ेगा और भारतीय निर्यातक अपनी मेहनत से कमाया गया खरीदार आधार पाकिस्तान के हाथों खो देंगे, मालूम हो कि पाकिस्तान बासमती निर्यात बाजार में भारत का प्रतिस्पर्धी है। हाल ही में बासमती व्यवसाय के प्रमुख गंतव्य तुर्की में संपन्न इस्तांबुल खाद्य मेले में एक भी भारतीय कंपनी को कोई नया ऑर्डर नहीं मिल सका।

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