Schools will not be closed in Gaya during Pitru Paksha, till now accommodation arrangements have been made for more than 61,000 pilgrims.

गया 12 Sep, (एजेंसी): मोक्षस्थली गया में पितृपक्ष के दौरान लाखों तीर्थयात्री अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके मोक्ष की प्राप्ति के लिए पिंडदान करने पहुंचते हैं। आने वाले तीर्थयात्रियों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो, इसके लिए जिला प्रशासन तैयारी में जुटा है। पितृपक्ष के दौरान किसी भी हाल में स्कूलों में पठन-पाठन का कार्य बाधित नहीं हो, इसको लेकर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

गया के जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने जिला शिक्षा अधिकारी को स्पष्ट निर्देश दिया है कि पितृपक्ष मेला क्षेत्र में सरकारी आवासन के प्रयोग में लिए जाने वाले वैसे सरकारी विद्यालय जहां पठन-पाठन का कार्य बंद रहता है, उन सभी विद्यालयों को किसी दूसरे विद्यालयों के साथ टैग करें, जिससे पठन-पाठन सुचारू रूप से चलता रहे। निजी आवासन की समीक्षा के दौरान जिला पदाधिकारी ने निर्देश दिया कि क्षमता के आधार पर प्राइवेट आवासन को लाइसेंस निर्गत करें।

उन्होंने पुलिस के वरीय अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे आवासन का भौतिक रूप से जांच कर लें। बताया गया कि अब तक करीब 61,000 लोगों के आवासन (ठहरने) के लिए सरकारी तौर पर व्यवस्था की गई है। गांधी मैदान में बन रहे टेंट सिटी में 2600 से अधिक लोगों के ठहरने की व्यवस्था बनाई जा रही है। इसके अलावा निगमा मोनास्ट्री बोधगया में 2400 आवासन क्षमता रखी गई है। जबकि, सामुदायिक भवन व अन्य आवासन के लिए 41 स्थल पर 10,050 पिंडदानी ठहर सकेंगे।

पुलिस आवासन के लिए 23 स्थल चिह्नित किए गए हैं, जहां छह हजार पुलिस जवान रहेंगे। इसके अलावा 63 होटल, रेस्ट हाउस चिह्नित किए गए हैं, जहां 3452 यात्री ठहरेंगे। गयापाल पुरोहितों के निजी भवन व धर्मशाला की संख्या 368 है, जहां 36,544 यात्री रुकेंगे। कुल 497 स्थानों को चिह्नित कर 60,946 लोगों के ठहरने की व्यवस्था की गई है। बताया जा रहा है कि बोधगया की विभिन्न मोनास्ट्री से संपर्क किया जा रहा है, जहां तीर्थयात्रियों को ठहराया जा सके।

तीन दिन पहले ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गया पहुंचकर पितृपक्ष की तैयारियों का जायजा लिया था और अधिकारियों को कई निर्देश दिए थे। इस वर्ष पितृपक्ष मेला 29 सितंबर से शुरू होकर 14 अक्टूबर तक चलेगा, इस दौरान देश – विदेश के लाखों तीर्थयात्री अपने पूर्वजों की मृतात्मा की शांति और मोक्ष के लिए यहां पिंडदान करने आते हैं।

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