चंडीगढ़ ,07 सितंबर (एजेंसी)। अंबाला के ऑब्जरवेशन फॉर्म में नाबालिक द्वारा की गई आत्महत्या के मामले में हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने कड़ा संज्ञान लेने की बात कहते हुए बताया कि सरकार को इस मामले की उचित जांच और कार्रवाई के आदेश दिए हैं। दरअसल फतेहाबाद का मूल निवासी नाबालिक मुकदमा दर्ज होने के बाद अंबाला शिफ्ट किया गया था।
दो ही दिन बाद इस नाबालिग ने आत्महत्या कर ली थी। इस पर हरियाणा मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष दीप भाटिया ने कहा कि मामला हमारे संज्ञान में है और हमारे कहने पर सरकार द्वारा किसी भी जेल में बंद कैदी की अप्राकृतिक मृत्यु पर उसके कानूनन उत्तराधिकारी को मिलने वाली मुआवजा राशि में बढ़ोतरी कर इसे 5 लाख से साढे 7 लाख किया गया था।
भाटिया ने बताया कि नाबालिक के सुसाइड मामले को इस क्राइटेरिया में जोड़कर यह मुआवजा राशि दिए जाने के निर्देश दिए गए थे। जिसे मानते हुए सरकार ने यह मुआवजा राशि ग्रांट की अनुमति दे दी है। भाटिया के अनुसार अभी तक इस नाबालिक के परिवार से संपर्क नहीं हो पाया। लेकिन जल्द ही परिजनों का पता लगाकर उन्हें यह सहायता राशि मिल चुकी है।
इसकी जानकारी ली जाएगी। उन्होंने सरकार के इस फैसले की सराहना करते हुए इसे अच्छा कदम बताया और कहा कि इस प्रकार से पीडि़त परिवारों को आर्थिक सहायता देने का रास्ता सरकार द्वारा खोला जाना वास्तव में एक अच्छा सहयोग है।
हरियाणा मानव अधिकार आयोग के चेयरमैन दीप भाटिया ने आदेश पारित करते हुए हरियाणा सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग चंडीगढ़ के अतिरिक्त मुख्य सचिव को इस मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया था। जिसमे उन्होंने पूछा था कि क्यों न नाबालिग मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी को पहले से निश्चित 7.50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।
क्योंकि प्रधान मजिस्ट्रेट किशोर न्याय बोर्ड फतेहाबाद की रिपोर्ट से यह सिद्ध हो गया था कि किशोर की अप्राकृतिक मौत हुई है, जब वह ऑब्जरवेशन होम में बंद था। इसके बाद महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्यक्रम अधिकारी प्रीति मानव आयोग के सदस्यों के सामने उपस्थित हुई थी और उन्होंने कहा था कि फतेहाबाद जिला एवं सत्र न्यायधीश को पत्र लिखकर प्रधान मजिस्ट्रेट किशोर न्याय बोर्ड के माध्यम से मृतक के परिजनों का पता लगाने के लिए कहा है जिससे वह उनके खाते में साढ़े 7 लाख रुपये की मुआवजा राशि डाल सके।
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