Now Navy soldiers will also be seen in kurta pajama, traditional attire will become the new dress code.

नई दिल्ली 06 Sep, (एजेंसी)- देश में इस समय भारत बनाम इंडिया का विवाद जोरों पर है। जी20 मीटिंग को लेकर राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी निमंत्रण पत्र में ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखे जाने के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर है। उसका कहना है कि सरकार देश का नाम बदलने जा रही है। बता दें कि विपक्षियों ने अपने गठबंधन का नाम ‘INDIA’ रखा है। इसी बीच भारतीय नौसेना के जवानों को पारंपरिक भारतीय परिधानों को पहनने की अनुमति देने की भी चर्चा चल रही है। अगर यह ड्रेस कोड लागू हो जाता है तो भोजनालय और वॉर्डरूम में जवान और अधिकारी भारतीय पोशाक में नजर आएंगे। बता दें कि अब तक सेना में भारतीय परिधानों को पहनने की मंजूरी नहीं थी।

नौसेना की तीन दिन की कॉन्फ्रेंस से इतर नेशनल सिविल ड्रेस का भी प्रदर्शन किया गया। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट के सामने इन परिधानों को प्रदर्शित किया गया जिसमें कुर्ता पायजामा, फॉर्मल वेस्टकोट, चूड़ीदार पैजामा और गलाबंद सूट शामिल था। हालांकि अभी इन परिधानों को लेकर कोई फैसला नहीं किया गया है। शीर्ष अधिकारों के सामने विचार के लिए यह मुद्दा जरूर रखा गया है।

सेना में अंग्रेजों के जमाने से ही भारतीय परिधानों को अनुमति नहीं है। जवानों के साथ मेहमान भी सेना के भोजनालय में भारतीय परिधान पहनकर नहीं जा सकते। हालांकि पश्चिमी संस्कृति को हटाने में नौसेना सबसे आगे नजर आ रही है। बीते साल दिसंबर में नेवी चीफ ऐडमिरल आर हरि कुमार ने कहा था, प्रधानमंत्री ने लालकिले से पंच प्राण का जिक्र किया। इसमें गुलामी की मानसिकता से मुक्ति भी शामिल था।

बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने नौसेना के स्वदेशी एनसाइन का भी अनावरण किया जिसमें से लाल रंग के सेंट जॉर्ज क्रॉस को हटा दिया गया। बीते साल आईएनएस विक्रांत के कमीशन होने के मौके पर यह किया गया था। बीते महीने नौसेना में एक और बड़ा परिवर्तन किया गया है। नौसेना के अधिकारी आम तौर पर अपने पास एक डंडा रखा करते थे जिसे अब नियम से हटा दिया गया है। कहा गया कि यह औपनिवेशिक शासन का प्रतीक था और गुलामी को दर्शाता था।

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