*7 आरोपियों को दोषमुक्त होने पर कोर्ट ने किया बरी*
कानपुर देहात ,05 सितंबर (एजेंसी)। कानपुर के चौबेपुर के बिकरू गांव की 2 जुलाई खौफनाक रात को गैंगस्टर विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस टीम पर गोलियों की बौछार हुई। डिप्टी एसपी समेत 8 पुलिसकर्मियों की नृशंस हत्या कर दी गई। इस घटना के 3 साल बाद मंगलवार को कानपुर देहात की गैंगस्टर कोर्ट ने पहली बार सजा सुनाई।
न्यायाधीश दुर्गेश पांडेय ने विकास दुबे के खजांची जय वाजपेयी समेत 23 आरोपियों को 10-10 साल की सजा और 50-50 हजार जुर्माना लगाया है। जबकि 7 आरोपियों को दोषमुक्त होने पर बरी कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि पुलिस की लचर पैरवी से गुड्डन त्रिवेदी समेत 7 आरोपियों को कोई सजा नहीं मिली। कोर्ट के फैसले के बाद दोषमुक्त किए गए 7 आरोपियों के परिजनों ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। वहीं अन्य 23 आरोपियों के परिजनों ने हाईकोर्ट में आदेश के खिलाफ अपील करने की भी बात कही है।
बिकरू कांड में शामिल 45 आरोपियों को जेल भेजा गया था। इसमें से 5 को पहले ही जमानत मिल चुकी है। मामले में विकास दुबे और उसके गैंग की अब तक 72 करोड़ की संपत्ति जब्त हो चुकी है। इसके साथ ही 7 पर इनसे एनएसए और 45 पर गैंगस्टर की कार्रवाई हो चुकी है।
बिकरू कांड के बाद विकास दुबे और उसके गैंग के सदस्यों, सहयोगियों सहित 91 लोगों के खिलाफ 79 मुकदमे दर्ज किए गए। जिसमें 63 केस में चार्जशीट दाखिल की गई। 6 अपराधियों की पुलिस मुठभेड़ में मौत होने के कारण इन पर दर्ज मुकदमों में अंतिम रिपोर्ट लगाई गई।
अनंत देव बहाल, 37 पुलिस वालों पर एक्शन
बिकरू कांड में कानपुर के एसएसपी रहे आईपीएस अनंत देव पर भी विभागीय कार्रवाई हुई थी। तीन साल की जांच के बाद आईपीएस अनंत देव तिवारी को विभागीय क्लीनचिट मिल गई। लापरवाही बरतने के दोषी पाए गए 37 पुलिसवालों पर भी विभागीय एक्शन हुआ। इनमें 6 पुलिस वाले तो तीन साल तक उस वेतन पर काम करेंगे, जो उन्हें नौकरी की शुरुआत में मिलती थी। दो पुलिस वालों को बर्खास्त किया जा चुका है। एसओ विनय तिवारी और बीट चौकी इंचार्ज केके शर्मा को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। इन दोनों को अभी तक जमानत नहीं मिली है। बिकरू कांड के बाद से जेल में बंद है। एसओ विनय तिवारी और दारोगा ने दबिश की मुखबिरी की थी। इसके बाद ही विकास तिवारी ने प्लानिंग से पुलिस पर हमला किया था।
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