Aditya-L1 satellite successfully placed in low Earth orbit, begins study of Sun's outer atmosphere

श्रीहरिकोटा 02 Sep, (एजेंसी): भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने देश के पहले सूर्य मिशन के तहत आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को शनिवार को पृथ्वी की कक्ष में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया।

इसरो सूत्रों के मुताबिक 23 घंटे 40 मिनट की उल्टी गिनती समाप्त होने के साथ ही पूर्वाह्न 11.50 बजे पीएसएलवी-सी57 के जरिए शार रेंज से प्रक्षेपित आदित्य एल-1 को अब पृथ्वी की निचली कक्ष में स्थापित कर दिया गया है। इसी के साथ ही 125 दिनों की लंबे सफर में सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करने का सिलसिला शुरू हो गया।

उन्होंने बताया कि मिशन नियंत्रण केंद्र के वैज्ञानिक पूरे अभियान पर नजर रखे हुए हैँ। इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि आदित्य-एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन है। सफल प्रक्षेपण के साथ ही सभी चार चरणों के प्रज्वलन और पृथक्करण के बाद रॉकेट को करीब 600 किलोमीटर की ऊंचाई पर निर्धारित कक्ष में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया।

उन्होंने कहा कि 15 लाख किलोमीटर की यात्रा करने के बाद अंतरिक्ष यान आदित्य-एल1 जनवरी 2024 के पहले सप्ताह में सूर्य के क्षेत्र में प्रवेश करेगा। करीब 1,475 किलोग्राम वजनी अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज प्वाइंट-1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है।

सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली कक्ष में रखे जाने के बाद कक्ष को और अधिक अण्डाकार बनाया जाएगा और बाद में अंतरिक्ष यान को ऑन-बोर्ड प्रोपल्शन थ्रस्टर्स का उपयोग करके लैग्रेंज बिंदु एल1 की ओर प्रक्षेपित किया जाएगा। जैसे ही अंतरिक्ष यान एल1 की ओर बढ़ेगा यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र (एसओआई) से बाहर निकल जाएगा। एसओआई से बाहर निकलने के बाद, क्रूज चरण शुरू हो जाएगा और बाद में अंतरिक्ष यान को एल1 के चारों ओर एक बड़ी प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी), बेंगलुरु में तैयार आदित्य-एल 1 अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल 1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है।

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