The state government is making continuous efforts for the promotion and protection of animals with a sense of service – Chief Minister

*मुख्यमंत्री ने निराश्रित गो-आश्रय स्थलों के प्रबन्धन और प्रदेश में दुग्ध उत्पादनध्संग्रह की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की*

लखनऊ ,20 अगस्त (एजेंसी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकारी आवास पर आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में निराश्रित गो-आश्रय स्थलों के प्रबन्धन और प्रदेश में दुग्ध उत्पादन व संग्रह की अद्यतन स्थिति की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पशु संवर्धन व संरक्षण के लिए सेवाभाव के साथ सतत् प्रयासरत है। गोवंश पालकों सहित सभी पशुपालकों के प्रोत्साहन के लिए सरकार द्वारा अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। पात्र लोगों को इसका लाभ मिलना सुनिश्चित कराया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि निराश्रित गोवंश संरक्षण की दिशा में सतत् प्रयासों के संतोषप्रद परिणाम मिल रहे हैं। वर्तमान में 6,889 निराश्रित गो-आश्रय स्थलों में 11.89 लाख गोवंश संरक्षित हैं। छोटे-छोटे निराश्रित गोवंश स्थलों के स्थान पर बड़े गोवंश स्थल उपयोगी हो सकते हैं। हमें नस्ल सुधार व गोबरधन प्लाण्ट जैसे कार्यक्रमों को बढ़ाने की जरूरत है। विकास खण्ड तथा जनपद स्तर पर स्थापित वृहद गो-आश्रय स्थल इस कार्य के लिए उपयोगी हो सकते हैं। इन्हें नियोजित रूप से प्रोत्साहित करें।

हर विकास खण्ड व जनपद स्तर पर 4000-5000 गोवंश क्षमता के वृहद गो-आश्रय स्थल के लिए स्थान चिन्हित किया जाए। प्रत्येक निराश्रित गो-आश्रय स्थलों पर केयर टेकर की तैनाती जरूर हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि निराश्रित गोवंश संरक्षण का कार्य समाज के सहयोग के बिना कभी पूर्ण नहीं हो सकता है। निराश्रित गोवंश के संरक्षण में आम जन को सहयोग के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए। गाय हमारी संस्कृति में पूजनीय है। बड़ी संख्या में लोग स्थानाभाव के कारण गो-सेवा नहीं कर पाते हैं। ऐसे परिवारों से एक निश्चित आर्थिक सहयोग लेकर उनके द्वारा चिन्हित गोवंश की निराश्रित गो-आश्रय स्थल पर सेवा की जानी चाहिए।

यदि गाय दूध दे रही है तो उसका उपयोग भी सम्बन्धित परिवार को करने की अनुमति दी जाए। इस सम्बन्ध में सम्बन्धित विभाग द्वारा स्पष्ट नीति तैयार की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि निराश्रित गो-आश्रय स्थलों में आवश्यकतानुसार अतिरिक्त शेड का निर्माण कराया जाए। गो-आश्रय स्थल में नन्दी के लिए पृथक व्यवस्था होनी चाहिए। गोवंश का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण भी होना चाहिए। निराश्रित गो आश्रय स्थलों में गोवंश के भरण-पोषण की अच्छी व्यवस्था रहे।

इसके लिये मॉनीटरिंग की आवश्यकता है। भूसा, हरा चारा, चोकर आदि की व्यवस्था समय से कर ली जानी चाहिए। सरकार की ओर से गो-आश्रय स्थलों को पर्याप्त धनराशि दी जा रही है। इस धनराशि का समुचित उपयोग हो।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि निराश्रित गो-आश्रय स्थलों में व्यवस्था के निरीक्षण के लिए हर जनपद में नोडल अधिकारी तैनात किया जाए। ब्लॉक स्तर पर पशु चिकित्साधिकारी की जिम्मेदारी हो। जनपद स्तर पर व्यवस्था की साप्ताहिक समीक्षा करते हुए शासन को मासिक रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाए। विधिवत सत्यापन के साथ ही निराश्रित गो-आश्रय स्थलों के लिए धनराशि आवंटित कर दी जाए।

पशुपालन, ग्राम्य विकास, पंचायती राज व नगर विकास विभाग अंतर्विभागीय समन्वय के साथ गो-आश्रय स्थलों में अच्छी तथा सुदृढ़ व्यवस्था के लिए कार्य करें। मुख्यमंत्री  ने कहा कि गोचर भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने के अभियान के अच्छे परिणाम मिले हैं। अब तक 29 जिलों में 2,536 हेक्टेयर भूमि कब्जा मुक्त कराई गई है।

राजस्व विभाग के साथ समन्वय बनाते हुए पशुपालन विभाग द्वारा यहां नेपियर घास, सहजन, सुबबूल आदि की बुआई कराई जाए। इस भूमि की जियो टैगिंग भी कराई जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी दशा में मृत पशुओं को नदियों में प्रवाहित न किया जाए। हमें इसके लिए लोगों को व्यवस्था देनी होगी।

सभी नगर निगमों में पशुओंध्जानवरों की अंत्येष्टि के लिए इलेक्ट्रिक शवदाहगृह का निर्माण कराया जाए। चरणबद्ध रूप से इसे अन्य नगरीय निकायों में स्थापित किया जाएगा।

**********************************

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *