President approves delimitation in Assam, Chief Minister Himanta Biswa Sarma said it is an important achievement

नईदिल्ली,16 अगस्त (एजेंसी)। असम में विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन का रास्ता साफ हो गया है। बुधवार को मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस संबंध में एक अधिसूचना ट्विटर पर शेयर करते हुए बताया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने असम में निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन को मंजूरी दे दी है।चुनाव आयोग द्वारा 2001 की जनगणना के आधार पर यह परिसीमन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। राज्य में 1976 के बाद पहली बार निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री सरमा ने ट्विटर पर लिखा, आज माननीय राष्ट्रपति ने असम के लिए भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी परिसीमन अधिसूचना को मंजूरी दे दी है। असम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की गई है। जय मां भारती, जय हो असम।बता दें कि असम में 2021 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अपने घोषणापत्र में लोगों के राजनीतिक हितों की रक्षा के लिए निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन का वादा किया था।

असम से कांग्रेस के लोकसभा सासंद गौरव गगोई ने परिसीमन को लेकर ट्विटर पर सवाल उठाए हैं।उन्होंने लिखा, सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले में उठाए गए गंभीर सवालों के बावजूद चुनाव आयोग ने असम में परिसीमन में जिस तेजी से काम किया है, वह भाजपा के क्रूर अधिनायकवाद का एक और उदाहरण है। भाजपा नए विधेयक में भारत के मुख्य न्यायाधीश को चुनाव आयोग के चयन से भी बाहर रखना चाहती है।

ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) और कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों का कहना है कि ये कदम मुस्लिम प्रतिनिधित्व को कम करने का राजनीतिक एजेंडा है। एआईयूडीएफ का कहना है कि परिसीमन लागू होने से मुस्लिम बहुल विधानसभा सीटों की संख्या 29 से घटकर 22 हो जाएंगी।एआईयूडीएफ के विधायक करीमुद्दीन बरभुया का कहना है कि चुनाव आयोग ने परिसीमन का मसौदा ऐसे तैयार किया है, जिससे विधानसभा में राज्य में 14 लोकसभा और 126 विधानसभा सीटें हैं। चुनाव आयोग ने पिछले महीने प्रकाशित एक आदेश में इन निर्वाचन सीटों की संख्याओं को बरकरार रखा है, जबकि एक संसदीय और 19 विधानसभा क्षेत्रों का नाम बदल गया है।इसके अलावा चुनाव आयोग परिसीमन के उस मसौदे पर भी अड़ा हुआ है, जिसमें 126 विधानसभा क्षेत्रों में से 30 में बड़े बदलाव का प्रस्ताव है।हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि आयोग ने क्या-क्या बदलाव किए हैं।

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