सागर 12 अगस्त (एजेंसी)। अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पूरे आत्मविश्वास से कहा कि मध्यप्रदेश के सागर जिले में संत रविदास के भव्य स्मारक के भूमिपूजन के बाद अब अगले एक से डेढ़ वर्ष में ये स्मारक बन कर तैयार हो जाएगा और उस समय भी इसके लोकार्पण के लिए वे (स्वयं श्री मोदी) ही आएंगे। मोदी ने महान संत रविदास को समर्पित 100 करोड़ रुपये के मंदिर का भूमिपूजन किया, साथ ही सागर में कई सौ करोड़ रुपये के अन्य प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास किया।
मोदी सागर जिले के बड़तूमा में संत रविदास के भव्य स्मारक के भूमिपूजन के बाद आयोजित जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रहलाद पटेल और भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद विष्णुदत्त शर्मा भी उपस्थित रहे। मोदी ने कहा कि देश की साझी संस्कृति को समृद्ध करने हेतु संत रविदास स्मारक एवं संग्रहालय की नींव पड़ी। उन्होंने कहा कि वे संत रविदास की जन्मस्थली बनारस से सांसद भी हैं। उन्हें संत रविदास के आशीर्वाद से ही स्मारक के भूमिपूजन का अवसर मिला। अगले एक से डेढ़ साल में ये मंदिर बन कर तैयार हो जाएगा और उसका लोकार्पण करने भी वे (श्री मोदी स्वयं) ही आएंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस स्मारक के निर्माण के लिए मुख्यमंत्री चौहान और प्रदेश सरकार का अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि प्रेरणा और प्रगति जब एक साथ मिलते हैं तो नए युग की नींव पड़ती है। आज मध्यप्रदेश इसी ताकत के साथ आगे बढ़ रहा है। मोदी ने संत रविदास ने उत्पीडऩ और अत्याचार के खिलाफ समाज को जाग्रत किया। उस समय हमारी आस्था पर हमले हो रहे थे, तब संत रविदास ने कहा कि जो पराधीनता के खिलाफ नहीं लड़ता, समाज उससे प्रेम नहीं करता। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश इसी भावना के साथ गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के संकल्प पर आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने संत रविदास की पंक्तियों का संदर्भ देते हुए कहा कि वर्तमान सरकार भी ऐसा राज चाहती है, जिसमें कोई भूखा ना रहे। उन्होंने कोरोना काल के दौरान केंद्र सरकार द्वारा चलाई गईं जनहितैषी योजनाओं का संदर्भ भी दिया। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि वे भूख की पीड़ा को बहुत अच्छे से समझते हैं।
प्रधानमंत्री ने पूर्ववर्ती सरकारों पर हमला बोलते हुए कहा कि पहले की सरकारों में योजनाएं चुनावी मौसम को देखते हुए आती थीं। इसके साथ ही उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों में केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रहीं योजनाओं के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी।
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