चेन्नई 12 aug. (एजेंसी): नई दिल्ली में आयोजित कावेरी जल नियामक समिति (सीडब्ल्यूआरसी) की बैठक में कावेरी का उचित हिस्सा जारी करने पर चर्चा के बाद तमिलनाडु को नदी का पानी नहीं दिये जाने से नाराज तमिलनाडु के प्रतिनिधिमंडल ने वाकआउट कर दिया। इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने कहा कि पानी की कमी के कारण सूख रही खड़ी फसलों को बचाने के लिए उसके पास सुप्रीम कोर्ट में जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा।
तमिलनाडु के जल संसाधन मंत्री दुरईमुर्गन ने यहां एक बयान में कहा कि बैठक में “तमिलनाडु सरकार के आग्रह के बाद सर्वसम्मति से कर्नाटक द्वारा 15 दिनों के लिए प्रति दिन 15,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्णय लिया गया”। लेकिन सीडब्ल्यूआरसी की बैठक में तीन घंटे की चर्चा के बाद और राज्य द्वारा अपनी मांग पर जोर देने के बावजूद, कर्नाटक ने हमेशा की तरह अपना रुख बदल दिया और कहा कि केवल 8,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा और वह भी 22 अगस्त तक।
यह देखते हुए कि कर्नाटक के सभी चार जलाशयों में 114.571 टीएमसीएफटी की कुल क्षमता के मुकाबले 93.535 टीएमसी फीट पानी का पर्याप्त भंडारण है, उन्होंने कहा कि कर्नाटक में पानी छोड़ने का कोई इरादा नहीं है और दोनों राज्यों के बीच चल रहे इस मामले से जुड़े सभी लोग पहले से ही अच्छी तरह से जानते हैं।
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