India has only 4 percent of the world's water sources: Sudhanshu Trivedi

नई दिल्ली, 9 अप्रैल (आरएनएस) । जल के स्रोत भारत में विश्व का मात्र 4 प्रतिशत है : सुधांशु त्रिवेदी.भारतीय जनता पार्टी अपने 42 वें स्थापना दिवस देश के आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर के रूप में मना रही है। भारतीय जनता पार्टी इसीलिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के द्वारा किए गए कामों को लेकर स्थापना दिवस के मौके पर सामाजिक न्याय पखवारे के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। सामाजिक न्याय पखवाड़े हर दिन अलग-अलग विषयों को लेकर भाजपा के बड़े नेता से लेकर कार्यकर्ता तक जनसंपर्क करते हैं। स्वतंत्रता के सार्थकता के लिए यह आवश्यक है।

9 अप्रैल को जल जीवन मिशन के रूप में भारतीय जनता पार्टी मना रही है।भारतीय जनता पार्टी के राष्टीय प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी ने भारतीय जनता पार्टी के स्थापना दिवस देश के आजादी के अमृतमहोत्सव के अवसर पर कहां की जल जीवन मिशन पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता लोगों के पास जाकर जल ही जीवन है इसके प्रति लोगों के बीच जाकर बताने का कार्य कर रही है की भारत में विश्व के 16 प्रतिशत जनसंख्या रहती है और 4 प्रतिशत जल के स्रोत है।

हमलोग भूगर्भ जल के 40 प्रतिशत का इस्तेमाल करते हैं। जल का संचयन और प्रबंधन नहीं रखा जाए तो भविष्य में बहुत बड़ी समस्या हो सकती है। प्रधानमंत्री की दूरदर्शी सोच में जल जीवन मिशन योजना है।इस मिशन की शुरूआत प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2019 को की थी। हमारी सरकार 2014 में आयी तो 16.85 प्रतिशत घरों में नल से जल मिल रहे थे। इस मिशन के शुरू होने से वर्ष के शुरू होने तक 48.2 प्रतिशत घरों तक पहुंच गयी है। 67 वर्षो में जितने घरों में नल से जल पहुंचते थे इन सात वर्षो में उनसे दोगुणे घरों मे नल की सुंविधा उपलब्ध करायी गयी है।

संख्यात्मक दृष्टि से देखे तो 15 अगस्त 2019 को 3.23 करोड़ घरों में नल से पहुंचते थे।7 अप्रैल 2022 को 9.4 करोड़ घरों में नल से जल पहुंचाने में सफल हुए है।

इन आंकडों में हमलोगों ने पिछले दो सालों में अतिरिक्त 6.95 करोड़ घरों में नल से जल पहुंचायां है।2021-22 में 40 हजार करोड़ रुपये जल जीवन मिशन के लिए आंवटित थे। 2022-23 में केन्दीय बजट में जल जीवन मिशन के लिए 60 हजार रूप्ये करोड़ आवंटित किया गया है। पिछले साल की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक राशि दी गयी है। यह बढ़ोत्तरी इस योजना के प्रति हमलोगों को प्रतिबद्धता दिखाती है।

कुल मिलाकर पांच वर्ष में 3.60 करोड़ का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अबतक 107 जिले है जिसमें लगभग ढेड़ लाख गांव हैं जहां घरों में जल पहुंचाने में सफल हो चुके है। 17.29 लाख स्कूल एवं आंगनबाड़ी भी नल के जल से युक्त हो चुके है।

गांवों में पेजजल आपूर्ति के लिए 4.82 लाख पानी समितियों का गठन किया गया है। लगभग 4 लाख ग्राम कार्य योजनाएं काम कर रही है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2021 में 92068 करोड़ रुपये के प्रावधान से 2021 से 2026 तक के लिए कृषि सिंचाई योजना की शुरूआत की थी। पेयजल के साथ कृषि सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता उतना ही महत्वपूर्ण है।त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के अंतर्गत 2021 -26 के दौरान कुल अतिरिक्त सिंचाई क्षमता को 13.88 लाख हेक्टेयर तक तय करना था। इसके लिए 60 परियोजनाएं काम कर रही है। जिनसे संबंधित 30.2 लाख हेक्टेयर कमान क्षेत्र इस विकास की प्रक्रिया में शामिल किया गया है।

कुछ महत्वपूर्ण जल परियोजनाएं केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को मदद से की जा रही है। इसमें खर्च का एक बड़ हिस्सा केन्द्र सरकार द्वारा दी जा रही है। उदाहरण के तौर पर हिमाचल पद्रेश में रेणुका जी बांध परियोजना और उत्तरखंड में लखवार बांध परियोजना है। इन दोनो राष्टीय परियोजना में केन्द्र सरकार 90 प्रतिशत दे रही है। इससे यमुना बेसिन में जल का भंडारण होगा और उत्तर भारत के 6 राज्यों में दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में जल की उपलब्धता बढेगी। यमुना में जल की उपलब्धता बढ़ेगी। जल का स्तर एवं गुणवत्ता में सुधार होगा।हर खेत को पानी पहुंचाने के लिए सिंचाई युक्त क्षेत्र का विस्तार बढ़ाया गया है। लघु सिंचाई एवं जल स्रोतों को 4.5 लाख हेक्टेयर और रकबे को सिंचाई से जोड़ गया है।

जल स्रोत के पुर्नोद्धार एवं पुनर्निमार्ण के लिए भाजपा की सरकार पूरी तत्परता के साथ काम कर रही है। इसके लिए राज्य सरकार एवं क्षेत्रीय स्तर पर किया जा रहा है उसमें केन्द्र सरकार की भागीदारी 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दी गयी है। ताकि वे बेहतर ढंग से कार्यान्वयन कर सके। जैसे तलाब या अन्य जल स्रोत जो सूख गए है उनको पुनर्स्थापित करने के पुनर्जीवित करने का काम किया जा रहा है।जल आच्छदन विकास में 2021-26 के दौरान संरक्षित सिंचाई के तहत लगभग 2.5 लाख हेक्टेयर भूमि शामिल है। यह एक बहुत बडी योजना है कि49.5 लाख हेक्टेयर सिर्फ वर्षा जल पर आधारित है या अनुपजाउ है उसे सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने की कोशिश की गयी है।

इस बार बजट में 46605 करोड़ रुपये से केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए दिए गए है। इसे योजना से 9.08 लाख हेक्टेयर भूमि का सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी और 62 लाख लोगो को पेयजल की सुविधा मिलेगी। 103 मेगावाट हाईडो पावर एवं 27 मेगावाट सौर उर्जा की उपलब्धता भी होगी। यह एक महत्वपूर्ण परियोजना है।राज्यो के साथ विचार विमर्श कर पांच परियोजना शुरू होगी। इसमें पहला दमन गंगा और पिंजाल परियोजना, दूसरा पार्क, तापी और नर्मदा परियोजना, तीसरी गोदवरी कृष्णा परियोजना, चौथा कृष्णा पेन्नार कावेरी परियोजना इनका डाफट तैयार हो गया है यह परियोजना अब फाइनल स्टेज में है। राज्यो सरकारो के साथ बातचीत कर अंतिम सहमति होने पर केन्द्र सरकार इन परियोजनाओं की राशि जारी कर देगी।भविष्य में जल एक महत्वपूर्ण घटक बनने जा रहा है।

वैश्विक स्तर पर भी जल एक महत्पूर्ण मुद्दा बनने जा रहा है. इसके लिए रणनीति के तहत नीति एवं योजनाएं को कार्यान्वित की जा रही है।स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव में जल जीवन एक महत्वपूर्ण कार्य हैपनी का एक अर्थ यह भी होता है मन में पानी है तो स्वाभिमान की भावना। जल जीवन के लिए भी आवश्यकता है राष्ट के लिए स्वामिभान की आवश्यकता है पानी उसका भी प्रतीक है।

पानी से चमकती हुई मोती भी निकलता है जो समृद्धि का प्रतीक है।प्रधानमंत्री का व्यापक विजन है वह भारतीय समाज की गहरी सोच से प्रेरित है। जिसे रहीम दास जी ने एक पंक्ति में कहा था- रहीमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून, पानी गए न उबरे मोती मानस सब चूर।सभी बातों को लेते हुए जल जीवन मिशन अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सुगमता से आगे बढ़ रहा है और स्वतंत्रता के अमृतमहोत्सव में अपनी सार्थकता को प्रस्तुत कर रहा है।

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