sale of pashmina products started in khadi institutions of varanasi

वाराणसी ,09 अप्रैल (आरएनएस)। वाराणसी की खादी संस्थाओं में पश्मीना उत्पादों की बिक्री शुरू. उत्तर प्रदेश के वाराणसी क्षेत्र में स्थित खादी संस्थाओं द्वारा निर्मित पश्मीना उत्पादों की विधिवत बिक्री शुरू हो गयी है। यह पहली बार है कि पश्मीना से बने उत्पादों का निर्माण लेह-लद्दाख और जम्मू कश्मीर क्षेत्र से बाहर वाराणसी में किया जा रहा है।
वाराणसी में खादी बुनकरों द्वारा बनाए गए पश्मीना उत्पादों का शुभारंभ खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना द्वारा वाराणसी में किया गया। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविन्द्र जायसवाल एवं जयप्रकाश गुप्ता, सदस्य (मध्य क्षेत्र), खादी और ग्रामोद्योग आयोग भी उपस्थित थे।
अभी तक पश्मीना ऊन से बने उत्पाद केवल लेह-लद्दाख एवं जम्मू-कश्मीर की देन के रूप में जाने जाते थे। पश्मीना ऊन लद्दाख में पायी जाने वाली एक विशेष प्रकार की भेड़ के बालों से तैयार होती है। खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अथक प्रयास से एक विशेष क्षेत्र में उत्पादित होने वाले पश्मीना ऊन से बने उत्पाद अब वाराणसी व उसके आस-पास के क्षेत्र की खादी संस्थाओं के माध्यम से उत्पादित किए जा रहे है। पश्मीना ऊन की कताई लेह-लद्दाख के कतीनों द्वारा तथा बुनाई वाराणसी व उसके आस-पास क्षेत्र की संस्थाओं द्वारा की जा रही है। वाराणसी में निर्मित पश्मीना उत्पादों की विधिवत बिक्री से पहले, चार मार्च को वाराणसी के बुनकरों द्वारा बनाए गए दो पश्मीना शॉल खादी आयोग के अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट किए थे।
सक्सेना ने बताया कि पश्मीना ऊन के उत्पादों का निर्माण वाराणसी व उसके आस-पास के क्षेत्रों में किया जाना खादी जगत के लिए एक गौरवशाली पल है। उन्होंने कहा कि इससे लेह-लद्दाख के कत्तिनों एवं वाराणसी क्षेत्र के बनुकरों को इसका लाभ मिलेगा। पश्मीना ऊन से क्षेत्र में बने उत्पाद पूरी तरह से शुद्ध होगें तथा इनमें दूसरे धागों का मिश्रण नहीं किया जाएगा। वाराणसी क्षेत्र में निर्मित उत्पादों को आयोग पूरे देश में अपने विभागीय खादी भवन तथा संस्थाओं के खादी भवनों के अतिरिक्त ऑनलाइन माध्यमों से बिक्री की सुविधा उपलब्ध करायेगा।

**************************************

इसे भी पढ़ें : कांग्रेस नेतृत्व से हकीकत यहीं है कि पार्टी नहीं संभल रही है

इसे भी पढ़ें : अफ्सपा को हटाकर केंद्र सरकार ने सराहनीय कदम उठाया है

इसे भी पढ़ें : जल शक्ति अभियान ने प्रत्येक को जल संरक्षण से जोड़ दिया है

इसे भी पढ़ें  : चुनावी मुद्दा नहीं बनता नदियों का जीना-मरना

इसे भी पढ़ें  : उनके जीने के अधिकार का हो सम्मान

इसे भी पढ़ें  : *मैरिटल रेप या वैवाहिक दुष्कर्म के सवाल पर अदालत में..

इसे भी पढ़ें  : शौचालयों से ही समृद्धि संभव

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *