High Court's big comment, many countries have reduced the age of having a physical relationship with consent, we should also consider

नई दिल्ली 14 Jully (एजेंसी)- बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि कई देशों ने किशोरों के लिए शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति की उम्र कम कर दी है और अब समय आ गया है कि हमारा देश भी दुनिया भर में होने वाली घटनाओं से अवगत हो, क्योंकि कई किशोरों पर मुकदमा चलाया जा रहा है। नाबालिग लड़कियों के साथ सहमति से संबंध बनाए रखने के लिए जेल भेजा गया है। जस्टिस भारती डांगरे की सिंगल जज की बेंच ने कहा, POCSO एक्ट विपरीत लिंग के प्रति प्राकृतिक भावनाओं को नहीं रोक सकता है, विशेष रूप से किशोरों में बायोलॉजिकल और मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों के कारण। इसलिए एक नाबालिग लड़के को एक नाबालिग लड़की के साथ संबंध बनाने के लिए दंडित करना बच्चे के हित के खिलाफ होगा।

जस्टिस डांगरे ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि समय के साथ, भारत में विभिन्न कानूनों द्वारा सहमति की आयु में वृद्धि की गई है और इसे 1940 से 2012 तक 16 वर्ष तक बनाए रखा गया। तब POCSO एक्ट ने इसे बढ़ाकर 18 वर्ष कर दिया था। उन्होंने कहा, ”यह संभवतः विश्व स्तर पर सहमति की सबसे ज्यादा आयु में से एक है, क्योंकि अधिकांश देशों ने सहमति की आयु 14 से 16 वर्ष के बीच निर्धारित की है।” कोर्ट ने कहा, “जर्मनी, इटली, पुर्तगाल, हंगरी आदि देशों में 14 साल की उम्र के बच्चों को सेक्स के लिए सहमति देने के लिए सक्षम माना जाता है।” उन्होंने कहा कि इंग्लैंड और वेल्स और यहां तक कि बांग्लादेश और श्रीलंका में भी सहमति की उम्र तय की गई है जोकि16 वर्ष है। जापान में यह 13 साल है।”

कोर्ट ने आगे कहा कि जहां तक ​​भारत का सवाल है, बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अनुसार पुरुष और महिला के लिए विवाह की आयु क्रमशः 21 और 18 वर्ष तय की गई है। बच्चे शब्द की परिभाषा कानून के अनुसार अलग- अलग होती है। कानून और POCSO एक्ट के अनुसार, 18 वर्ष से कम उम्र के किशारे को बच्चा माना जाता है और यह उनके साथ सभी यौन गतिविधियों को अपराध मानता है, भले ही यह सहमति से किया गया हो। बेंच ने जोर देकर कहा कि सहमति की उम्र को शादी की उम्र से अलग किया जाना चाहिए, क्योंकि यौन कृत्य केवल शादी के दायरे में नहीं होते हैं और न केवल समाज, बल्कि न्यायिक सिस्टम को भी इस महत्वपूर्ण पहलू पर ध्यान देना चाहिए।

जस्टिस डांगरे वडाला के एंटोप हिल इलाके के एक 32 वर्षीय दर्जी द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रहे थे, जिसे 21 फरवरी, 2019 को एक विशेष पॉस्को (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) अदालत ने नाबालिग के साथ सहमति से संबंध बनाने पर सजा सुनाई थी। उस समय दर्जी की उम्र लगभग 25 वर्ष थी और लड़की की उम्र लगभग साढ़े 17 वर्ष थी। बाद में दोनों ने शादी कर ली और लड़की ने ट्रायल कोर्ट के सामने दोहराया कि उनका रिश्ता सहमति से बना था, लेकिन पॉस्को कोर्ट ने दर्जी को दोषी ठहराया और उसे 10 साल की सजा सुनाई, क्योंकि लड़की तकनीकी रूप से नाबालिग थी। जस्टिस डांगरे ने कहा कि जब कोई किशोर यौन संबंध बनाता है तो शारीरिक आकर्षण या मोह का मामला हमेशा सामने आता है और यह जरूरी है कि हमारा देश दुनिया भर में जो कुछ भी हो रहा है उस पर नजर रखे।

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