सूरत 07 Jully (एजेंसी) ।गुजरात हाई कोर्ट ने शुक्रवार को आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी की दो साल की जेल की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इसके कारण उनकी संसद की सदस्यता चली गई थी।
अदालत ने फैसला सुनाया कि दोषसिद्धि पर रोक लगाना एक अपवाद है, नियम नहीं।
मानहानि का मामला 2019 के लोकसभा चुनाव अभियान से जुड़ा है, जब राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था, “सभी चोरों का एक ही उपनाम मोदी कैसे है।”
गांधी के वकील ने तर्क दिया था कि उनके मुवक्किल अपनी लोकसभा सीट “स्थायी और अपरिवर्तनीय रूप से” खो सकते हैं, क्योंकि अपराध में अधिकतम दो साल की सजा का प्रावधान है।
वकील ने आगे तर्क दिया कि इस तरह के नुकसान के चलते “उस व्यक्ति और जिस निर्वाचन क्षेत्र का वह प्रतिनिधित्व करता है, उसके लिए बहुत गंभीर परिणाम होंगे।”
इससे पहले मई में गुजरात उच्च न्यायालय ने इस मानहानि मामले में सजा पर रोक लगाने के लिए राहुल गांधी की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
आखिर क्या है पूरा मामला :
यह मामला कर्नाटक के कोलार में 2019 की एक रैली से जुड़ा है, जहां राहुल गांधी ने कहा था: नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी। सभी चोरों का उपनाम ‘मोदी’ कैसे हो सकता है? इस टिप्पणी पर सूरत के भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया।
गांधी को सूरत की एक अदालत ने दो साल की जेल की सजा सुनाई थी, जिसके कारण उन्हें संसद सदस्य के रूप में अयोग्य ठहराया गया था। पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस प्रच्छक ने इस बात पर जोर दिया था कि जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि होने के नाते राहुल गांधी को बयान देते समय अधिक सतर्क रहना चाहिए था।
इस साल की शुरूआत में, सूरत में सत्र न्यायालय ने राहुल गांधी की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा उनकी सजा को निलंबित करने की मांग की गई थी, जिसमें कहा गया था कि उनकी अयोग्यता से उन्हें अपरिवर्तनीय नुकसान नहीं होगा।
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